अरविन्द दुबे
देवकी नंदन खत्री का रचना संसार
पुस्तक का नाम
|
प्रकाशन वर्ष
|
चंद्रकांता
|
1892
|
नरेन्द्र मोहिनी
|
1893
|
वीरेंद्र वीर
|
1895
|
चंद्रकांता संतति
|
1896
|
कुसुम कुमारी
|
1899
|
नौलखा हार
|
1899
|
गुप्त गोदना
|
1902
|
काजर की कोठरी
|
1902
|
अनूठी बेगम
|
1905
|
भूतनाथ
|
1909
|
रोहतास मठ
|
1909
|
.
समकालीन विज्ञान कथा साहित्य
हिंदी विज्ञान कथा के क्षेत्र में“सरस्वती” पत्रिका का प्रकाशन एक मील का पत्थर है। हिंदी में सरस्वती पत्रिका का प्रकाशन सन् 1900 में प्राररंभ हुआ। इसके प्रथम वर्ष
के छटवें अंक (जून 1900) में श्री केशव प्रसाद
सिंह लिखित “चंद्रलोक की यात्रा” नामक विज्ञान कथा प्रकाशित हुई थी, जिसे बहुत समय तक हिंदी की प्रथम विज्ञान कथा माना जाता रहा ।
सरस्वती पत्रिका में प्रकाशित विज्ञान कथाएं
आगे चल कर तो “सरस्वती” पत्रिका में ही बहुत सारी विज्ञान कथाएं प्रकाशित हुईं पर इनमें से अधिकांश या तो पाश्चात्य
लेखकों की रचनाओं का भारतीयकरण भर थीं या फिर उनका शब्दशः अनुव
सरस्वती में प्रकाशित कुछ प्रमुख विज्ञान कथाएं (1)(13)
कहानी का शीर्षक
|
प्रकाशन वर्ष
|
लेखक/अनुवादक
|
चंद्रलोक की यात्रा
|
1900
|
केशव प्रसाद सिंह
|
आश्चर्यजनक घंटी
|
1908
|
सत्यदेव परिव्राजक
|
विज्ञान की कहानियां व
चंद्रलोक की प्ररिक्रमा (अनु0)
|
-
|
केशव सदाशिव केलकर
|
उड़ते अतिथि
|
-
|
विनोदिनी मिश्रा
|
चंद्रलोक की यात्रा
|
-
|
सूर्यकांत साह
|
आकाश में युद्ध
|
-
|
सत्य प्रकाश पांडेय
|
बैलून विहार (अनुवाद)
|
1918
|
शिव सहाय चतुर्वेदी
|
भूगर्म की सैर (अनुवाद)
|
1919
|
-
|
विमान विध्वंसक (अनुवाद)
|
1923
|
-
|
पूर्ण जानकारी के आभाव में सारिणी अपूर्ण है। यदि
कोई पाठक/विज्ञान कथा विशेषज्ञ
इन खाली स्थानों को भर सकते हों तो स्वागत है।
सरस्वती पत्रिका युग के प्रमुख विज्ञान कथाकार
डा0 नवल बिहारी मिश्र,
अम्बिका दत्त व्यास, केशव प्रसाद सिंह, प्रेम बल्लभ जोशी,
दुर्गा प्रसाद खत्री, अनादिधन बंदोपाध्याय, हरि किशोर,
राजेश्वर प्रसाद सिंह, निहाल करण सेठी, यमुनादत्त वैष्णव ‘अशोक’,
बृजमोहन गुप्त, रमेश वर्मा,
डा0 सम्पूर्णानन्द,
आचार्य चतुरसेन शास्त्री, लाल श्री निवास दास, डा0 ओम प्रकाश शर्मा आदि इस युग के प्रमुख विज्ञान कथाकार थे (1)।
डा0 नवल बिहारी मिश्र का
विज्ञान कथाओं के क्षेत्र में योगदान
डा0 नवल बिहारी मिश्र
का विज्ञान कथाओं के क्षेत्र में योगदान अविस्मरणीय हैं उन्होने स्वयं तो उस समय के
महान विज्ञान कथाकार एच0 जी0 वेल्स की दो रचनाओं फ़र्स्ट मैन ओन दी मून” (सन् 1964 “विज्ञान जगत” में प्रकाशित) और “वार ओफ़ दी वर्ल्ड” (सन् 1965 में “विज्ञान जगत” में प्रकाशित) का हिंदी में
अनुवाद कर इन रचनाओं से हिंदी-भाषियों का परिचय कराया। इतना ही नहीं उनकी देख-रेख में फ़्रेंच और अंग्रेजी भाषाओं की निम्न कई कालजयी रचनाएं हिंदी में अनूदित होकर हिन्दी-भाषी पाठकों को उपलब्ध हो गईं।
मूल पुस्तक का नाम
|
मूल लेखक
|
अनूदित पुस्तक का नाम
|
अनुवादक
|
ट्वेन्टी थाउजेन्ड लीग्स अंडर
दी सी
|
जूल्स वर्न
|
समुद्रगर्भ की यात्रा
|
जयंती देवी
|
एमंग दी कैनीबल्स
|
जूल्स वर्न
|
नर भक्षकों के देश में
|
शैवालिनी मिश्रा
|
///
|
जूल्स वर्न
|
उड़ते अतिथि
|
विनोदिनी पांडे
|
दी मिस्टीरियस आइलैण्ड
|
जूल्स वर्न
|
रहस्यमय द्वीप
|
जयंती देवी
|
///
|
जूल्स वर्न
|
द्वीप का रहस्य
|
संत कुमार अवस्थी
|
जर्नी टू द सेन्टर आफ दी अर्थ
|
जूल्स वर्न
|
भूगर्भ की यात्रा
|
प्रभात किशोर
|
///
|
जूल्स वर्न
|
दृढ़ प्रतिज्ञ
|
राम अवधेश त्रिपाठी
|
फाइव वीक्स इन ए बैलून
|
जूल्स वर्न
|
गुब्बारे में अफ्रीका यात्रा
|
शैवालिनी मिश्रा
|
फ्राम द अर्थ टू द मून
|
जूल्स वर्न
|
चंद्रलोक
की यात्रा
|
सूर्यकांत शाह
|
एराउंड द
मून
|
जूल्स वर्न
|
चंद्रलोक
की परिक्रमा
|
केशव सदाशिव केलकर
|
एराउन्ड द वर्ल्ड इन
एट्टी डेज
|
जूल्स वर्न
|
अस्सी दिन में पृथ्वी परिक्रमा
|
रामस्वरूप गुप्त
|
गुलीवर ट्रेवल्स
|
जोनाथन स्विट
|
गुलीवर की यात्राएं
|
शिवाकांत अग्निहोत्री
|
मास्टर मैन रेडी
|
कैप्टेन मेरिएट
|
मास्टर मैन रेडी
|
कौशल श्रीवास्तव
|
ब्लू लैगून
|
हेनरी स्टैक पूल
|
नीली झील
|
कुमुदनी तिवारी
|
स्विस फैमिली राबिंसन
|
जान डेविड वायस
|
स्विस परिवार राबिंसन
|
देवेन्द कुमार शुक्ल
|
वार आफ वर्ल्ड्स
|
एच0जी0 वेल्स
|
आकाश में युद्ध
|
संत प्रकाश पांडेय
|
ट्रेजर आफ दी लेक
|
राइडर हैगार्ड
|
गुप्त धन
|
जे0 एन0 वत्स
|
/// मूल पुस्तक का नाम ज्ञात नहीं है
पूर्ण जानकारी के आभाव में सारिणी अपूर्ण है। यदि
कोई पाठक/विज्ञान कथा विशेषज्ञ
इन खाली स्थानों को भर सकते हों तो स्वागत है।
स्रोत्रः बीसवीं शती का विज्ञान विश्वकोष (सं0-शुकदेव प्रसाद)(1)
अन्य हिंदी पत्रिकाओं में विज्ञान
कथाएं
केवल सरस्वती ही नहीं कई अन्य समकालीन हिंदी पत्रिकाओं ने विज्ञान कथाओं को बढ-चढ़ कर प्रश्रय दिया यहां तक कि कइयों ने तो
अपने “विज्ञान कथा विशेषांक“ तक निकाले। साप्ताहिक हिन्दुस्तान, धर्मयुग और सारिका जैसी पत्रिकाओं के नाम इस में अग्रणी है। ऐसी पत्रिकाओं
के कुछ प्रमुख विज्ञान कथा विशेषांकों का विवरण निम्न है।
पत्रिका का नाम
|
विज्ञान कथा विशेषांक प्रकाशन
का वर्ष
|
नंदन
|
1969
|
पराग
|
दिसम्बर 1975
|
विज्ञान प्रगति
|
जनवरी 1978
|
धर्मयुग
|
6 अप्रैल 1980
|
मेला
|
25 फरवरी 1981
|
सुमन सौरभ
|
फरवरी 1993
|
स्रोत-विज्ञान कथाएं, मन भाएं, लेखक- डा0 मनोज पटैरिया, कल्किआन हिंदी- अगस्त 2009(14).