“पांडियन ठीक कहता है” मेरी एक और विग्यान कथा, इस विग्यान कथा के साथ मेरी बहुत सारी खट्टी मीठीं यादें जुडीं हैं। मैने इसके लिए बहुत सारीं गालियां सुनीं हैं पाठकों के आलोचना से भरे, गालियों से फोन भी सुने हैं, “पुत्र द्वारा मॉ का बलात्कार- छी-छी-छी कैसे-कैसे कलुषित मस्तिष्क के लोग भी विज्ञान कथा लिखने लगे हैं।“ पर खुशी है कि अंतत: पाठकों और विग्यान कथा मर्मग्यों के एक बडे वर्ग से इसे एक अच्छी विग्यान कथा की मान्यता मिली। इस कहानी में मैने प्रजनन में विज्ञान के हस्तक्षेप के चलते संस्कारों और मानव संवेदनाओं की अनदेखी से पैदा होने वाली निकृष्टतम स्थिति की कल्पना की है। प्रजनन और बच्चे का लालन-पालन कोर्इ यांत्रिक प्रक्रिया भर नहीं है। यह भावनाओं, मुद्दा शरीर और संस्कारों से जुडा है। एक स्त्री जो बच्चे को कमोडिटी की तरह खरीद लार्इ, जिसे परिस्थितियोंवश वह न अपने गर्भाशय में पाल सकी न अपनी गोद में, जिसने उसकी तोतली बोली पर खुश होकर तालियां नहीं बजार्इं, जिसने उसके पहले डगमगाते कदम को खुश होकर नहीं देखा उस बच्चे के लिए उसकी यह तथाकथित मॉ क्या होगी, सिर्फ एक मादा ही न? फिर उस समय बहुत आसानी से उपलब्ध नशीली दवाइयों नशे में इन्टरनेट पर ‘हार्ड पॉर्नोग्राफी’ देखता वह बच्चा,जो अब युवा हो चला है, ऐंठती नसों के साथ, रात के अंधेरे में इस ‘मादा’ के साथ क्या नहीं कर सकता? ‘पांडियन सच कहता है’ एक चेतावनी है, उनके लिए जो प्रजनन को एक यांत्रिक प्रकिया बनाने पर तुले हैं।
अगर कोई और कहता तो शायद रूबी खुद भी भरोसा नहीं कर पाती कि
ऐसा हो सकता है। पर ऐसा हुआ और उसी के साथ हुआ, बेहद शर्मनाक और
दुखद।
कल ही वो बात है पर ऐसा लगता है कि युग बीत गये। करीब एक बजा होगा रात का। रूबी को जल्दी सोने की आदत है इसलिये रूबी को सोए करीब चार घंटे हो चुके थे। अपने इस सरकारी अपार्टमेंट में रूबी अकेली ही रहती है। कभी-कभार कालेज की
छुटिटयों में उसका बेटा आ जाता है तब इस घर में दो प्राणी
हो जाते है।
"बेटा," आज ये शब्द दिमाग में आते ही उसका मुंह कडुवाहट से भर जाता
है। हां तो कल एक बजा होगा रात का कि उसके बेड़रूम के
दरवाजे पर खट-खट हुई।
"कौन?" उसने अन्दर से पूछा।
"दरवाला खोलो," यह उसके बेटे आर्यन की आवाज थी।
रूबी तेजी से उठी और नाईटी पहने पहने ही उसने दरवाजा खोल
दिया। आर्यन सामने खड़ा था।अजीब हुलिया था, लाल आंखे, बिखरे बाल।
"आर्यन," वह ताज्जुब में थी कि आर्यन की आवाज को
क्या हुआ? अजीब बदली सी आवाज थी आर्यन की।
"आर्यन, क्या बात है? "
आर्यन कुछ बोला नहीं। उसे आर्यन को, अपने बेटे को,
देख कर डर सा लगने लगा। 18 साल का करीब 6 फुट लम्बा आर्यन दरवाजे के बीचों बीच खड़ा
था ।
"आर्यन बात क्या है बोलते क्यों नहीं?"
आर्यन अभी भी रूबी को घूर रहा था।
रूबी को लगा कहीं आर्यन बीमार तो नही? नहीं....नहीं
कहीं.... ये कोई नशा तो नहीं करने लगा। आज इस तेइसवीं
शताब्दी में नशीली दवाइयों की भरमार थी। इंटरनेट के
जरिए दवाएं घर बैठे आर्डर की जा सकती थीं। चूंकि जीवन मूल्य धीरे-धीरे
बिखर रहे थे अत: बीस के होते-होते अमेरिका के करीब पचास प्रतिशत नौजवान इन
दवाओं के आदी हो जाते थे।
रूबी भले ही पिछले 25-30 वर्षों से अमेरिका
में थी पर मूलत: भारतीय ही तो थी । इस तेईसवीं शताब्दी
में भी भारत उन गिने-चुने देशों में था जिनमें नैतिक मूल्यों का उतना
विनाश नहीं हुआ था जितना कि इन योरोपीय देशों में या अमेरिका में। अपनी
व्यस्त दिनचर्या के बीच भी उसका हमेशा यही प्रयास रहा कि आर्यन को भी वह
वे नैतिक मूल्य सिखाए। पर आर्यन उसके पास रहता ही कितना है सिर्फ
छुटिटयों में, कुछ दिनों के लिए।
"आर्यन तुम बीमार हो क्या", रूबी ने कहा और वह
आगे बढ़ी ताकि वह आर्यन का माथा छूकर देखे कि
उसे कहीं बुखार तो नहीं। उसने पास पहुंच कर आर्यन की ओर हाथ बढ़ाया। आर्यन
उसे अभी भी विचित्र नजरों से घूर रहा था। उसने आर्यन के माथे को हाथ लगाया ही था कि आर्यन ने उसके सीने पर हाथ रखा। एक दम से न जाने क्यों रूबी को कुछ अजीब सा लगा। हाथों का ये
स्पर्श उसके बेटे जैसा नहीं था। ये
स्पर्श तो एक दम अजीब था, सख्त किसी और तरह की अनुभूति जगाता, सिहराता सा। उसने
घबरा कर आर्यन के हाथों को अपने सीने से हटाना चाहा पर आर्यन के हाथों की
पकड़ और सख्त होती जा रही थी।
वह घबरा कर चिल्लाई, "आर्यन!"
आर्यन ने जेसे मानो कुछ सुना ही न हो।
अपने बचाव में रूबी ने पीछे हटना शुरू कर दिया पर उसके सीने
पर आर्यन की पकड़ अभी भी सख्त थी। वह कुछ नहीं बोल रहा था। ऐसा लगता
था कि अर्धचेतना की अवस्था में हो।
"आर्यन........लीव मी.............लीव मी........आर्यन",
वह चीख रही थीं।
पर आर्यन मानों कुछ सुन ही नहीं रहा था।
पीछे हटने के प्रयास में वह पीछे और पीछे चलती गयी। आर्यन
उसी अनुपात में उसके साथ आगे बढ़ रहा था। उसके सीने पर
आर्यन की पकड़ वैसी ही थी, सख्त और विचित्र।
रूबी अपने बिस्तर के किनारे से टकराई और बिस्तर पर गिर गई।
आर्यन उसके ऊपर लद गया। अब उसके हाथों में हरकत होने लगी थी। उसके
हाथों ने रूबी के शरीर को टटोलना, नोचना और झिंझोड़ना
शुरू कर दिया। रूबी बुरी तरह डर गई थी।
वह वहीं से सहायता के लिये चिल्लाई, "हेल्प, हेल्प!" पर
इतनी रात को उसकी आवाज कौन सुनता और सुनता तो क्या कोई मदद को आता? ये
तेईसवीं सदी थी कोई चार सौ साल पहले की उन्नीस सदी नहीं
जहां एक गुहार सुनने पर लोग मदद के लिये घरों से
बाहर निकल पड़ते थे।
आर्यन अब रूबी के ऊपर चढ़ा था। वह उसके कपड़े फाड़ने की कोशिश
कर रहा था। अब रूबी को अपने सामने आर्यन नहीं एक बलात्कारी दिख रहा था।
रूबी शिथिल पड़ती जा रही थी आखिर 52 वर्ष की अधेड़ औरत
एक 18 साल के युवक के सामने कब तक टिकती। उसने
नीचे दबे-दबे ही फोन करने की कोशिश की पर आर्यन ने फोन उसके हाथ से छीन
कर दूर फेंक दिया। अब तक वह कुछ नहीं बोला था। सिर्फ उसके हाथ थे जो
रूबी के शरीर पर हरकत किए जा रहे थे।
घबराहट और बेचारगी के उन क्षणों में न जाने कैसे रूबी को
याद आया कि उसे सिरहाने बिस्तर के नीचे उसकी बेहद छोटी गन रखी है और
नीचे दबे-दबे उसने निर्णय ले लिया। पलक झपकते ही गोली की आवाज गूंजी।
अगले ही क्षण आर्यन बिस्तर से नीचे लुढ़क गया।
रूबी झटके उठी। आर्यन धीरे धीरे उठ कर खड़े होने की कोशिश कर
रहा था। उसने अपनी बाई जांघ को थाम रखा था। गोली उसकी बाई जांघ में
लगी थी या यूं कहिये रूबी ने जानबूझ कर मारी थी।
आर्यन के मुंह से घुटी सी चीख निकली थी वैसी जैसा कि जिबह
होते समय किसी जानवर के गले से निकलती है। रूबी वहीं खड़ी कांप रही
थी। आर्यन ने जोर लगा कर अपने को खड़ा किया और रूबी की ओर
बढ़ा।
"रूक जाओ आर्यन वहीं रूक जाओ" पर आर्यन मानों कुछ सुन
ही नहीं रहा था। वह आगे बढ़ा
"आई विल शूट यू," रूबी चिल्लाई।
आर्यन ने मानो कुछ सुना नहीं हो।
इससे पहले कि आर्यन के हाथ एक बार फिर रूबी तक पहुँचते एक
गोली और चली। आर्यन गिर गया पहली बार वह चीखा, "यू पिग हेडेड ओल्ड
वोमेन, यू स्लट...."
पर इन सबको सुनने के लिये रूबी वहां नहीं थीं। वह तो
ड्राइंग रूम के फोन पर पुलिस कंट्रोल रूम को घटना का
विवरण बता रही थी। उसके बेडरूम का दरवाजा बाहर से
बंद था और बेडरूम के अंदर से आर्यन के चीखने की आवाजें आ रही थी।
रूबी ने फोन रखा और फफक कर रोने लगी।
अगले दिन अखबारों की हेड लाइन थी "एक सोलह वर्षीय
पुत्र द्वारा अपनी मां के साथ बलात्कार का प्रयास",
"सिक्सटीन ईयर ओल्ड रेप्ड हिज ओन मदर।
नीचे रूबी और आर्यन की तस्वीरें छपीं थीं।
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रूबी हमेशा से खुले विचारों की रही है। यूं तो रूबी के बहुत
सारे मित्र रहे हैं। पुरूष भी, स्त्रियां भी। उनके साथ उसके अंतरंग
सम्बन्ध भी रहे हैं। पर किसी के साथ किसी बंधन में बंधना
उसे कभी रास नहीं आया। तभी तो रूबी आज अकेली है,
सक्षम और अपनी मर्जी की मालिक। जब वह किशोरी थी तब भी अपनी मर्जी से
चलने की कोशिश करती थी। जवान हुई तब भी उसने किसी को भी अपने पर हावी नहीं
होने दिया। उसकी इच्छाएं शुरू से ही आसमान छूती थीं। कालेज के बाद उसने
अपने परिवार की मर्जी के खिलाफ इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने का
फैसला किया। इंजीनियरिंग के पाठयक्रम में जब उसने 'एयरोनौटिकल
इंजीनियरिंग' को चुना तो सबको बड़ा ताज्जुब हुआ। सबने उसे समझाया कि यह तो ऐसी ब्रांच है जिसमें पुरूषों का वर्चस्व है। इसमें महिलाओं के लिए कोई भविष्य नहीं हैं। पर रूबी तो जिद की
पक्की थी। उसने इसी विषय को चुना और यूनीवर्सिटी में प्रथम
रही।
रूबी के माता पिता चाहते थे कि और लड़कियों की तरह रूबी शादी
करे। वे भी उसकी शादी करके अपने कर्तव्यों से मुक्त हो जाएं। पर रूबी
तो आजाद चिड़िया थी वह पर कटा कर बंधनों में बंध कर कैसे रहती?
उसने शादी से साफ मना कर दिया।
सचमुच अपने देश में रूबी के लिये कोई भविष्य नहीं था इसलिये
उसने विदेश की राह पकड़ीं वहां `एयरोस्पेस इंजीनियरिंग´ में उच्च शिक्षा
प्राप्त करके उसे `नासा स्पेस रिसर्च सेंटर´ में काम मिल गया।
आज वह एक वरिष्ठ वैज्ञानिक है और उन संभावित उम्मीदवारों में से है, जिन्हें अंतरिक्ष यात्रा पर जाने का अवसर मिल सकता है।
कैरियर के पीछे भागते भागते समय कब रूबी की पकड़ से फिसल गया, पता ही नहीं चला। रूबी अब 35 वर्ष की हो गयी है। अब तो ‘उस तरह से’ रूबी में कोई रूचि भी नहीं लेता। हर चीज का एक वक्त होता है।
कैरियर के पीछे भागते भागते समय कब रूबी की पकड़ से फिसल गया, पता ही नहीं चला। रूबी अब 35 वर्ष की हो गयी है। अब तो ‘उस तरह से’ रूबी में कोई रूचि भी नहीं लेता। हर चीज का एक वक्त होता है।
अचानक इतने वर्षों बाद यह इच्छा न जाने कहां से सिर उठाने
लगी, रूबी में। एक बच्चे की इच्छा। वह भी वैसा, जैसा वह चाहती है।
स्ट्रॉंग, इंटेलीजेंट, टॉल, क्यूट और नीली आंखों वाला पुरूष बन सके, ऐसा बच्चा। कहां दबी पड़ी थी ऐसी इच्छा, मन के किस कोने में? इस आयु में ऐसी
इच्छा का काई औचित्य भी नहीं है। पर क्या करे रूबी? हर रात उसे सपनों
में दिखता, एक गोल मटोल नीली आंखों वाला बच्चा.........मुस्कुराता उसकी ओर बांहें फैलाए।
इस आयु में बच्चा पालना वैसे किसी झंझट से कम नहीं होता पर
रूबी हर हाल में इस झंझट को उठाने के लिए तैयार थी। रूबी के सामने अब
दो विकल्प थे। इस आयु में रूबी या तो किसी अधेड़ से शादी
रचाए या फिर इस 23वीं शताब्दी की "एडवांस्ड
रिप्रोडक्शन टेक्नोलोजी" की मदद ले।
रूबी को यह तो कभी रास आ ही नहीं सकता था कि किसी का उस पर
अधिकार हो, कोई उस पर प्रतिबंध लगाए इसलिये रूबी के सामने एक ही रास्ता था "एडवांस्ड
रिप्रोडक्शन टेक्नोलोजी"। इससे वह अपना मनचाहा शिशु पा सकती थी।
इसमें एक लंबा फार्म भरना होता था कि आपके शिशु में आप क्या
क्या चाहते हैं? उसकी आंखें कैसी हों- नीली भूरी या काली, उसका रंग कैसा हो- गोरा, डार्क या गेहुंआं, उसकी वयस्क आयु की संभावित लम्बाई कितनी हो, उसका आई क्यू
कितना हो वगैरह, वगैरह।
अपने शिशु के लिए आप जितने अधिक गुण चुनेंगे थे उतने अधिक
डॉलर आपको खर्च करने होंगे । शिशु इसमें शिशु न
होकर एक "कमोडिटी" बन गया था कि बाजार गए और अपनी पसंद का बच्चा खरीद लाए। `जेनेटिक इंजीनियरिंग´ के जरिए ग्राहक
द्वारा चुने गये गुणों के जीन फ़्रेगमेन्ट करके एक
सब्सट्रेट क्रोमोजोम में फिट कर दिए जाते थे। इस
क्रोमोजोम को डुप्लीकेट करके ग्राहक स्त्री के खाली किये अंड
में प्रवेश कराकर एक जायगोट तैयार किया जाता था जिसे या तो कृत्रिम यूटरस में विकसित किया जाता था या फिर उसी स्त्री के गर्भाशय में स्थापित कर दिया जाता था। बाकी की प्रक्रिया फिर सामान्य गर्भ धारण और प्रसव जैसी ही होती थी।
अधिकतर स्त्रियों की पसंद होती थी नेचुरल यूटरस में जायगोट
स्थापित कराना क्योंकि इस प्रक्रिया में जायगोट के नष्ट होने या
विकृत होने के खतरे काफी कम थे। दूसरे वैज्ञानिक ये भी
मानते थे कि इस तरह से भविष्य में मां और बच्चे
के बीच इमोशनल बान्डिंग अच्छी होती है यानि उनके और उनके बच्चे बीच भविष्य में सम्बन्ध मधुर रहते हैं। वैसे यदि किसी स्त्री का अपना यूटरस इस कार्य के लिये उपयुक्त न हो तो वह किसी अन्य स्त्री का यूटरस किराये पर ले सकती थीc। पर इस दशा में पूरे गर्भ-काल भर उसे इस सरोगेट मदर की पूरी देख-भाल करनी होती थी। अगर सेरोगेट मां आदत की ठीक हुई तो अच्छा वरना बहुत सारी मुसीबतें पैदा हो जाती थीं। कई बार तो आपस में झगड़ा होने पर ये सरोगेट माताएं बेहद शराब ओर सिगरेट पीनी शुरू कर देती थीं या फिर चुपके से उन दवाइयों का सेवन करने लगतीं थीं जिससे बच्चे में
स्थाई विकृति आ जाए। ऐसे में या तो स्त्री
को उस सरोगेट मां का गर्भ गिरवाना होता था जिसके लिये वे उसे तरह
तरह से ब्लैकमेल करातीं या फिर राजी ही न होतीं थीं। कभी-कभी पूरे गर्भ काल में सरोगेट मां की सुरक्षा करने, उसका पूरा खर्च
उठाने के बाद भी सरोगेट मां उस बच्चे को अपने से अलग करने को राजी ही
न होती थी। ऐसे बहुत सारे मामले
अदालत में पहुंचते थे जिसमें जीत अक्सर सरोगेट मां की ही होती थी। इसलिये
ये सरोगेट मां वाला विकल्प चुनने के लिये स्त्रियां अक्सर तैयार ही नहीं
होतीं थीं। अधिकतर स्त्रियां या तो गर्भ खुद धारण करतीं थीं या फिर कृत्रिम
यूटरस वाला विकल्प चुनती थीं।
रूबी जिसे किसी के नखरे सहना मंजूर ही नहीं था वह भला
सरोगेट मां वाला विकल्प कैसे चुन उसकती थी। डाक्टरी जांच ने
सिद्ध कर दिया था कि उसका अपना यूटरस जायगोट
स्थापित करने के लिये उपयुक्त नहीं था।
रूबी के सामने दो ही विकल्प थे एक क्लोनिंग और दूसरा
आर्टीफिशियल यूटरस। क्लोनिंग से उसे अपने बच्चे में वहीं गुण मिल सकते
थे जो खुद उसमें थे यानि कि दूसरी रूबी बनाई जा सकती थी।
यदि उसे अपने
बच्चे ने अपनी पसंद के गुण चाहिये थे तो अंतत: उसके लिये एक
ही विकल्प था और वह था कृत्रिम यूटरस। हांलांकि
इसमें बच्चे के विकृत, परिवर्तित व बांडिग डिफेक्ट के खतरे थे पर रूबी
तो रूबी, जो सोच लिया सो सोच लिया।
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और बच्चा पैदा हो गया या दूसरे शब्दों में कहूं कि 'मेन्यूफैक्चर'
हो गया क्योंकि बच्चे की पैदायश में रूबी कहीं भी शामिल नहीं थी। एक खरीदी जा सकने वाली चीज की तरह उसने सेंटर के बिल अदा किए और बच्चे को ले आई।
हां बच्चे का नाम
उसने खुद रखा 'आर्यन', श्रेष्ठ आर्य जाति का श्रेष्ठ नुमांइदा।
सेंटर ने रूबी को बच्चा देते समय उसे बच्चे की पेडिग्री
सौपी। पैडिग्री में यह विवरण होता है कि बच्चे के खास
गुणों के लिए खास-खास जीन खण्ड कहां-कहां से
किन-किन व्यिक्त्यों की कोशिकाओं के कल्चर से लिए गये हैं। इस विवरण में भी
बच्चा प्राप्त करने वाली स्त्री को जीन दाता व्यक्ति का नाम पता नहीं वरन
उसका कोड नम्बर बताया जाता है। उसका नाम एडवांस्ड रिप्रोडक्शन सेंटर
के पास गोपनीय रहता है। जीन के दाता कभी भी यह जान नहीं पाते है कि
उनके जीन का उपयोग किस जायगोट को बनाने के लिए किया गया है। न ही ग्राहक
स्त्री या उत्पन्न होने वाली संतान कभी यह जान पाती है कि उन्हें किन-किन
दाताओं से जीन मिले है। वरना बहुत सारी कानूनी अड़चनें उत्पन्न हो सकती
हैं। ये जानकारी कुछ विशेष परिस्थितियों में उजागर की जाती है जैसे कोई
आनुवांशिक बीमारी हो जाने पर, ऐसी संतान में अंग प्रत्यारोपरण के
समय होने वाली एच.एल.ए. टाइपिंग में किसी व्यवधान के समय या किन्हीं
असाधारण परिस्थितियों में। पर इसके लिये अदालत में प्रार्थना
पत्र देकर पूर्व अनुमति लेनी आवश्यक होती है।
रूबी को इस बात का बहुत अफसोस था कि शारीरिक अक्षमता के
चलते वह खुद आर्यन को पैदा नहीं कर पाई। उसे डर था कि उसके और बच्चे के
बीच बांडिंग कहीं कमजोर न रह जाए पर उसने सोच लिया था कि बच्चे के पालन
पोषण में पूरे समर्पण के साथ लगकर वह इस कमी की भरपाई
कर देगी।
अपनी धुन की पक्की रूबी इसमें जी जान से लग गई। पर प्रकृति
को शायद यह भी मंजूर न था।
एक दिन रूबी को
सूचना मिली कि उसे अंतरिक्ष यात्रा के लिए ट्रेनिंग पर
जाने वाले सम्भावित छह अंतरिक्ष यात्रियों के ग्रुप के लिये चुन लिया गया
है। जिसमें से तीन सौभाग्यशाली वास्तव में अंतरिक्ष में यात्रा
करेंगे।
रूबी पशोपेश में थी एक तरफ आर्यन और उसका भविष्य था और
दूसरी ओर वह सपना जिसे वह कालेज के दिनों से देखती आई थी, अंतरिक्ष में
यात्रा का सपना, पृथ्वी को सुदूर
ब्रह्मांण से निहारने का सपना। और अंत में वही हुआ जो रूबी जैसी `कैरियर ओरिएंटेड´
स्त्रियों के साथ
होता है। रूबी ने ट्रेनिंग पर जाने का फैसला कर
लिया।
दो महीने के आर्यन को अपनी एक दूर के रिश्तेदार और
पूर्णकालिक आया को सौंप, रूबी ट्रेनिंग पर
चली गई। दो वर्षों की कठिन ट्रेनिंग के बाद रूबी को आखिर वह अवसर
मिल ही गया जिसका सपना उसने वर्षों पहले देखा था। वह अंतरिक्ष यात्रा
पर ही नहीं गई अपितु उसे स्पेस लैब में दो वर्ष तक रहने और प्रयोग करने का
मौका भी मिला। इन चार वर्षों के दौरान वह आर्यन से कभी नहीं मिल पाई
हालांकि वह आर्यन को कभी नहीं भूली। बिला नागा रोज वह वीडियोफोन से
आर्यन से तोतली बोली में बोलती, कई कई मिनटों तक उसे निहारती रहती। उसका यह
क्रम तब भी जारी रहा जब वह इस पृथ्वी से हजारों मील दूर स्पेस लैब में काम
कर रही थी। लैब में वह घंटो बैठी आर्यन की उस तस्वीर को देखती रहती
जिसे वह अंतरिक्ष यात्रा पर जाते समय अपने साथ ले गई थी, दो साल का नन्हा
आर्यन।
अपनी अंतरिक्ष यात्रा से जब रूबी वापस लौटी तो वह एक अति
विशिष्ट व्यक्ति थी। लेकिन उसे इसकी परवाह न थी।
मेडीकल क्लीयरेंस
के बाद वह सीधी घर गई, अपने आर्यन के पास। जाते ही उसने
आर्यन को बांहो में भर लिया।
चार साल का नन्हा आर्यन उसकी गोद से निकलने के लिए छटपटा
रहा था। रूबी ने उसे छोड़ दिया वह भाग कर अपनी आया की गोद में छुप
गया। रूबी के दिल को एक धक्का लगा। पर उसने मन को
समझाया कुछ समय साथ साथ रहेंगे तो सब ठीक हो जायेगा।
पर सब कुछ कभी ठीक नहीं हुआ। आर्यन अपनी आया के साथ अधिक
सहज रहता। जैसा कि आया ने उसे सिखाया था वह रूबी को 'मॉम' कहता पर आया को 'अम्मा'।
अंतरिक्ष यात्रा से वापस लौट कर सेलिब्रिटी बनी रूबी की
व्यस्तताएं बढ़ने लगीं। यद्यपि व आर्यन के प्रति अपने उत्तरदायित्व को
भी भूलती नहीं थी पर पूरी तरह से उसे निभा भी कभी नहीं
पाई।
कुछ साल पहले वह आया भी नहीं रही। आर्यन हॉस्टल चला गया।
आर्यन एक अमेरिकन किशोर और युवा के रूप में विकसित होने लगा, लापरवाह, गैर जिम्मेदार और नैतिक मूल्यों को जूते की ठोकर पर रखने वाला।
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आर्यन पुलिस निगरानी में अस्पताल में है। उसकी जांघ का घाव
ठीक हो चला है। रूबी उसे देखने अस्पताल जाने के लिए कभी अपने आपको तैयार
नहीं कर पाई है। हालांकि वह फोन पर हर रोज आर्यन के बारे
में पता कर लेती है। रूबी आज कल कहीं आती-जाती
नहीं, बुत बनी घर पर बैठी रहती है। कभी-कभार रूबी की दोस्त स्टेसी आकर
बैठती है उसके पास।
"ऐसे कब तक चुप रहोगी रूबी" स्टेसी ने हथेलियों मे भर
कर रूबी का चेहरा ऊपर उठाया।
"यग सब मेरी गलती है स्टेसी, इट्स माई
फाल्ट", रुबी सिसकने लगी।
"पिछिले दस दिनों में करीब सौ बार दोहरा चुकी हो यह
बात"
"सच है, आखिर वह मुझे मां
की तरह क्यों रिकोगनाइज करें? मैने उसके लिये किया ही क्या है?"
"क्या नहीं किया, उसका शरीर, ऐश-आराम, पढाई-लिखाई,
कपड़े, स्टेटस सब
तुम्हारा ही तो दिया है।"
"स्टेसी पर इससे मैं उसकी मां तो साबित नहीं होती। मां को बच्चे
के लिए और भी बहुत कुछ करना होता है, जो मैनें उसके लिए
कभी नहीं किया "
"ओह कम आन रूबी। तुमने उसके लिए थोड़ा बहुत नहीं भी किया तो
कया वह तुम्हारे साथ ये सब करेगा? मैनें भी उसके लिए
कुछ नहीं किया तो क्या वो मेरे साथ भी यही करेगा?
"
"जस्ट शट-अप स्टेसी, आखिर सोचना यह है कि उसने ऐसा क्यों किया?
मैं.....मैं ही
पिछड गई स्टेसी.......मैं उसे वे नैतिक मूल्य नहीं दे पाई,
जिनकी मैं उससे उम्मीद
करती हूं। स्टेसी अंतरिक्ष की ऊंचाइयां नाप कर भी आइ अम
फेलियर इज ए मदर", रुबी फूट-फूट कर रो रही थी।
"रूबी आज हम कितने गंदे वातावरण में रह रहे हैं। इंटरनेट पर इन
किशोरों को क्या कुछ नही देखने को मिल जाता है, तरह तरह की
पोर्नोग्राफी.....तरह तरह की यौन
विकृतियां।"
"यह तो आज के हर युवा के लिए है पर हर कोई आर्यन जैसा तो
नहीं करता? बोलो न स्टेसी कोई करता है ऐसे? "
"दम है तुम्हारी बात में रूबी।"
"तभी तो मुझे पता करना है कि ऐसा क्यों हुआ? "
रूबी इलीनॉस के एडवांस्ड रिप्रोडक्शन सेंटर केचीफ सांइटिस्ट
के सामने बैठी उस फाइल को पलट रही थी जिसमें उन व्यक्तियों का विवरण
था जो उसके बेटे आर्यन के जीन डोनर थे। जिनसे रूबी के मन पसंद गुणों के
जीन लेकर आर्यन का जायगोट बनाया गया था।
"क्या आपको लगता है कि यह विकृति जो आर्यन में दिखी है, कृत्रिम यूटरस की वजह से है? "
"क्या आपको लगता है कि यह विकृति जो आर्यन में दिखी है, कृत्रिम यूटरस की वजह से है? "
"नहीं मैडम निश्चत रूप से नहीं। हमने आपके मामले में जिस
टेक्नोलोजी का प्रयोग किया है उसमें पहले तो ऐसा होने की गुंजाइश ही
नहीं है अगर ऐसा हो भी जाये तो हमें तुरंत इसकी जानकारी
मिल जाती है। आपके मामले में तो ऐसा कुछ भी नहीं
हुआ।"
"अच्छा, और उसके जीन डॉनर्स"
"यस, हमने आपके मामलें में हमने 113 जीन डानर्स प्रयोग
किये थे जिनके डिटेल उस फाइल में हैं जो आपके हाथ में है।"
"इन लोगों की करेंट पोजीशन? "
"यस मैडम, वह भी इस फाइल में लिखी है"
रुबी उस लिस्ट को गौर से देखने लगी। एक जगह जाकर उसकी नजर
ठहर गई। उसमें एक व्यक्ति का पता नहीं था।
"यह एडम स्मिथ?" उसने सवालिया
नजरों से चीफ साइंटिस्ट की ओर देखा।
"हां एडम स्मिथ, इससे हमने नीली आंखो वाला जीन लिया था। अनफोर्टूनेटली
ही इज लॉस्ट टू फालो अप। उसका हमारे पास अब कोई पता नहीं है । हमने उसके सारे कंन्टैक्ट ट्राई कर लिए हैं।
"आपके पास उसका पुराना कंन्टेक्ट एड्रेस होगा? "
"जी, यह लीजिए", चीफ साइंटिस्ट ने कंप्यूयूटर से एक पेज निकाल कर रूबी को थमा दिया।
"जी, यह लीजिए", चीफ साइंटिस्ट ने कंप्यूयूटर से एक पेज निकाल कर रूबी को थमा दिया।
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रूबी अपने बंगले की टेरेस पर खड़ी आसमान में ताक रही है।
उसके हाथों में एक कागज फडफड़ा रहा है। न जाने क्यों उसे अपने एक दोस्त
प्रोफेसर पांडियन की याद आ रही है। पांडियन का मानना था कि
आदमी आगे चलकर क्या बनेगा-शान्त समझदार नागरिक,
अपराधी, उच्चका, कलाकार या
वैज्ञानिक; यह सब उसकी जीन सीक्वेसिंग और
संरचना पर निर्भर करता है। यह अलग बात है कि हम इस प्रकार के सीक्वेंसेस को
पूरी तरह अलग करके पहचान नहीं पाए हैं।शायद इस प्रकार के जीन रिसेसिव
होते हैं जो तभी प्रकट हो पाते हैं जब उनको उपयुक्त मॉडीफायर मिलें।
ये मॉडीफायर परिस्थितियां भी हो सकती हैं, इमोशंश भी और केमीकल्स भी।
"क्या सोच रही हो रूबी" ये स्टेसी थी जो न जाने कब आकर
रूबी के पीछे खड़ी हो गई थी।
"पांडियन ठीक कहता है।"
"व्हाट?" स्टेसी चौंकी
रूबी ने कोई उत्तर नहीं दिया। अपने हाथ का परचा स्टेची को थमा
दिया। यह अभी अभी फैक्स से
आई पुलिस इनवेस्टीगेशन की रिपोर्ट थी जिसमें लिखा था कि आर्यन को नीली
आंखों की जीन देने वाला एडम स्मिथ तीन उम्रदराज औरतों का
बलात्कार करके उनकी हत्या कर देने के जुर्म में आज कल जेल में है ।
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