डा
अरविन्द दुबे
जब
से गुणसूत्रों (क्रोमोसोम्स)
के किनारों पर
लगे टीलोमीयर्स, जो
कि मानव शरीर
में बढ़ती आयु
से संबंधित परिवर्तनों
की वजह होते
हैं, को एक
एंजायम टीलोमरेज द्वारा हर
कोशिका विभाजन के समय
झड़ने से बचा
कर मानव की
आयु को बढ़ाने
के सफ़ल प्रयास
होने लगे हैं,
तब से सैद्धांतिक रूप
से मानव अमर
हो गया है।
अंग प्रत्यारोपण अब
इतना सफ़ल और
सरल हो गया
है कि खराब
होने पर लोग
मशीन के पुर्जों
की तरह अपना
कोई भी अंग
कितनी भी बार
बदलवा लेते हैं।
लोग अब अंत
तक युवा रह
कर सैकड़ों वर्षों
तक जी रहे
हैं और हजारों वर्षों तक
जीने की तमन्ना
रखते हैं। म्रृत्यु
तो अब किसी
दुर्घटना या बढ़ते
तनावों के चलते
की जाने वाली
आत्महत्याओं से ही
होती है। कुछ
देशों के निवासी
तो इन परिस्थितियों
का आनंद उठा
रहे थे। वे
परिवार और बच्चों
के झंझटों से
मुक्त वर्तमान में
जीते थे जिससे
मानव की आयु
कई गुना बढ़
जाने वाबजूद उन
देशों की आबादी
बढ़ नहीं रही
थी पर कुछ
देशों में एक
ऐसे धर्म को
मानने वाले लोग
रहते थे जिन्हें
उनके धर्मगुरु मात्र
संख्या बल के आधार
पर दुनिया पर
राज करने का
सपने दिखाते थे।
इसलिए वे बराबर
बच्चे पैदा किए
जा रहे थे
और अपने देश
की आबादी को
बेतहाशा बढ़ा रहे
थे। ऐसे लोगों
से परेशान होकर
उन देशों की
सरकारों ने “फ़ैमिली
लिमिट” घोषित कर दी
थी जिसमें एक
जोड़े से उत्पन्न
खानदान के सदस्यों
की संख्या
निश्चित थी। “फ़ैमिली
लिमिट” के अंदर
आने वाले सदस्यों
के लिए इलाज,
निवास, यात्रा, पढ़ाई आदि
की सुविधाएं या
तो मुफ़्त थीं
या उन पर
भारी सब्सिडी दी
जाती थी। “फ़ैमिली
लिमिट” के बाद
पैदा हुए सदस्यों
को कोई सरकारी
सुविधा या सब्सिडी
नहीं थी। बिना
सब्सिडी यह सब
इतना महंगा था
कि एक आम आदमी
इसे अफ़ोर्ड नहीं
कर सकता था।
कद-काठी से
मजबूत और युवा
दिखने वाले पांच
सौ वर्षीय उदीमा
खान अभी अभी
टीलोमरेज रीप्लेनिश सेशन से
गुनगुनाते हुए लौटे
थे। टेक्नीशियन ने
बताया था कि
उनका टीलोमरेज लेबिल
बिलकुल सही है
और वे लंबे
समय तक ऐसे
ही युवा बने
रहेंगे।
“अब बाईसवीं
शादी कर ही
डालूं”, पांच सौ
वर्षीय उदीमा खान सोच
रहे थे।
तभी
सामने से उनके
पड़पोते शफ़ीक और
उनकी पत्नी हिना
आते दिखे। शफ़ीक
और हिना दोनो
ही 100 वर्ष से
ऊपर के हैं
पर “फ़ैमिली लिमिट”
के चलते उनका
कोई बच्चा नहीं
है।
“आ गए,
जवानी का एक
और घूंट पी
कर दादा मियां”,
हिना ने हिकारत
से कहा।
“तुम्हें
मतलब”
“हां है,
और कितना जीना
चाहते हो, शर्म
नहीं आती। हम
यहां एक बच्चे
के लिए तरस
रहे हैं और
ये-------, कयामत के दिन
क्या मुंह दिखाएंगे
हम?”।
“करो ना
हमने रोका है”
भुनभुनाते हुए उदीमा
खान रेलिंग पर
जाकर खड़े हो
गए और आसमान
ताकने लगे।
पर
उदीमा खान यह
नहीं देख पाए
कि हिना और
शफ़ीक़ चुपके से
उनके पीछे आकर
खड़े हो गए
हैं।
एक
हलका सा धक्का
और उदीमा खान
अठारहवीं मंजिल से सीधे
नीचे पक्के फ़र्श
आ गिरे और
उनके प्राण पखेरू
उड़ गए।
“माफ़ करना
पड़दादा हुजूर, हमारे जीने
के लिए आपकी
ये कुर्बानी जरूरी
थी, अल्लाह हमें
माफ़ करना” हिना और
शफ़ीक़ ने एक
साथ कहा और
दुआ में हाथ
ऊपर उठा दिए।
Every living being is made up cells, the basic unit of life.
Every cell has a nucleus (barring a few). This nucleus contains genetic
material. At the time of cell division this genetic material gets arranged in filamentous
structures called “Chromosomes”. These chromosomes are made up of thousands of
base pairs namely Adenine, Guanine, Cytosine and Thiamine which are said to be arranged
in double helical structure. End of these chromosomes are protected by sequence
of few thousand base pairs called “Telomeres” just like the plastic caps at the
tips of shoelaces. When cells undergo cell division these telomeres save the
chromosome tips from chipping. Instead the telomeres are chipped off in this
process and gradually get shorter after each division. After number of cell divisions
(50 t0 70 for a human somatic cell) telomeres become so short that cell looses
the capacity to divide further. Such cells undergo “apoptosis” or self programmed
death. Because of this every living organism gradually age and is mortal (liable
to die ultimately) barring few unicellular organisms that have the capacity of
asexual reproduction. An enzyme “Telomerase” can prevent and even reverse this
telomere shortening. Experiments on mice have shown that by introducing the
gene which activates telomerase production can prevent this telomere shortening
and not only these cells keep on dividing for longer periods and so stops the
aging, it also reverts the signs aging in them. These experiments are
successfully reproduced in human cells too. Scientists see this telomerase as a
key of everlasting youth and ultimately the immortality. If in near or distant
future this dream comes true then what will happen? Humans will live for hundreds
or even thousands years. Death will only by accidents or by suicide due to increasing
social tensions. What will be the social scenario and what will happen to interpersonal
relations?
My short
SF story (LAGHU KATHA) in Hindi addresses this issue.
डॉ साहब बहुत बहुत धन्यवाद,आपकी रचनाएं कौतूहल का विषय होती हैं,आपकी प्रतिभा को नमन,परमात्मा आपको मानसिक संघर्ष की शक्ति प्रदान करे जिसे आप अपनी लेखनी के माध्यम से प्रदर्शित करते रहें ।सादर अभिनंदन
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