शनिवार, 16 नवंबर 2019

विश्व रंग 2019 भोपाल- डा सी वी रमन विज्ञान कथा प्रतियोगिता पुरस्कार

कला और साहित्य के भोपाल में चल रहे कुंभविश्व रंग” में मुझे भी अपनी एक विज्ञान कथा के पुरस्कार के लिए नामित किया गया था जिसे ग्रहण करने मैं वहां गया था। लेकिन वहां जाकर मुझे अपना वह लेखसिर्फ दौलू है विज्ञान कथा लेखक” याद आया।  यहां भी विज्ञान कथा लेखकों के लिए वही व्यवस्था थी जो आज साहित्य में सर्वत्र दृष्टिगोचर होती है। जैसे कि विज्ञान कथा साहित्य, साहित्य की एक विधा है इसे मानने में तो साहित्यकार आनाकानी नहीं करते पर विज्ञान कथा लेखक भी साहित्यकार है यह किसी को स्वीकार्य नहीं है।
विज्ञान कथा लेखकों के लिए यहां साहित्यकारों के साथ मंच साझा करने की व्यवस्था नहीं थी। साहित्य के लिए पुरस्कृत साहित्यकारों की तरह पुरस्कार से पहले उनका प्रशस्ति वाचन भी नहीं  किया जा रहा था और उनके लिए पुरस्कार ग्रहण करने की प्रक्रिया भी अलग थी।
साहित्यकारों को उस मंच पर वनमाली पुरस्कार दिए जा रहे थे। वनमाली जी 1960 के दशक में साहित्य और कला के क्षेत्र में एक जाना माना नाम हैं। उनके नाम पर वनमाली पुरस्कार दिए जाते हैं जिसमें साहित्य की हर विधा का ध्यान रखा जाता है। मुझे लगा कि आज भी विज्ञान कथा लेखक उस सजातीय बंधुओं की तरह है जिसे गिनती में मुश्किल से गिन तो लिया जाता है पर पंगत में उसे साथ बैठकर भोजन करने की अनुमति नहीं है।


अंत में मैंने संतोष चौबे जी से अनुरोध किया कि वह विज्ञान और साहित्य के क्षेत्र में एक साथ काम कर रहे हैं और दोनों क्षेत्रों पर आपकी बराबर की कृपा दृष्टि है इसलिए विज्ञान कथा के लिए भी एक मुख्य वनमाली पुरस्कार की सर्जना करें ताकि विज्ञान कथा को भी साहित्य के एक अलग विधा के रूप में स्थापित किया जा सके ।
पुरस्कार वितरण के दौरान श्री चौबे जी ने यह घोषणा की थी कि वह हिंदी विज्ञान कथा का एक वृहद कोष बना रहे हैं जिसे वह देवकीनंदन खत्री से शुरू करेंगे। मैंने उनसे एक मुलाकात के दौरान बातों-बातों में यह कहा था कि जिस तरह आपने साहित्य की हर विधा में वनमाली पुरस्कारों की स्थापना की है उसी तरह विज्ञान कथा को भी साहित्य का की एक अलग विधा मानते हुए इसमें भी एक शीर्षस्थ वनमाली पुरस्कार की स्थापना कीजिए। पर इस बात को कहने के लिए तो यह वह  उपयुक्त स्थान और समय था दूसरे नही मैं उनसे पहले से बहुत परिचित था। एक प्रत्याशा है। हमारे बहुत सारे विज्ञान विज्ञान कथा लेखक उनसे भली-भांति परिचित हैं और उनके स्टार लेखकों में आते हैं। वे उनके द्वारा ऐसे समारोहों में बार-बार आग्रह करके आमंत्रित किए जाते हैं। इनमें से कुछ नाम हैं डॉक्टर जाकिर अली रजनीश, प्रज्ञा गौतम, अरविंद मिश्र, देवेंद्र मेवाड़ी, विजय चितौरी, सुभाष लखेरा, शुकदेव प्रसाद, शिवगोपाल मिश्र, विश्व मोहन तिवारी आदि। यदि यह लोग व्यक्तिगत स्तर पर पत्र या मेल भेजकर श्री चौबे जी से इस बात का आग्रह करें तो विज्ञान लेखकों के लिए भी एक वनमाली पुरस्कार की स्थापना हो सकती है, इसमें कोई संदेह नहीं है बस इच्छाशक्ति चाहिए।  वैसे शुकदेव प्रसाद और देवेंद्र मेवाड़ी जी का वहां पर बहुत प्रभाव है और उनकी बात बहुत ध्यान से सुनी जाती है। पर यह लोग क्या इस प्रकार के पुरस्कार की स्थापना के लिए चौबे जी को निवेदन करेंगे? मुझे तो इसमें संदेह है।