शुक्रवार, 18 नवंबर 2016

जूली

लेखक- डा0 अरविन्द दुबे

“सो आइ एम योर न्यू बॉस” मैनें  अपने कन्सल्टेशन चेम्बर में घुसते ही कहा।
“यस डाक्टर” ये सुरीली आवाज थी मेरी नर्इ रोबो सेक्रेट्री जे.यू.ल-124 की। यानि मेरी सेक्रेटरी कोर्इ इंसान नहीं एक रोबोट है; एक अति विकसित रोबोट, जो दिखने, बोलने, यहां तक कि व्यवहार में भी बिल्कुल हमारे जैसा है।  इसीलिये हन्हें हम रोबोट नहीं ‘एंड्रोइड’ कहते हैं।  सुनते हैं कि आज से दो हजार साल पहले यानि कि इक्कीसवी-बाइसवींशताब्दी में रोबोट का मतलब होता था धातु के कल पुर्जों, बहुत सारे तारों, घिर्रियों और जोड़ों वाली मशीनें जो अपने मालिक के इशारों पर बिजली या बैटरी से काम करती थीं। पर मेरे समय का रोबोट, माफ करना एंड्रोइड, उन मशीनों से बिल्कुल अलग है।  इसके दो हिस्से होते हैं एकशरीर दूसरा मस्तिष्क। रोबोटिक्स की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि रही है ‘रोबो मस्तिष्क’। यह  रोबो मस्तिष्क पोजिट्रानिक्स के सिद्धांतो पर काम करता है। इसमें करोड़ों सर्किट्स वाली लाखों छोटी-छोटी चिप्स होती हैं। जिस काम के लिए उसे बनाया जाता है उससे सम्बंधित सारी सूचनाएं जानकारियां उसमें भर दी जाती हैं। अब तो विषेश सामाजिक परिस्थितियों में उसे कैसे व्यवहार करना है, किस तरह बोलना है, कैसे चलना है, यह सब भी फीड़ किया जाता है। उनके और मानव मस्तिष्क में फर्क बस इतना ही होता है कि उनके मस्तिष्क के सारे काम एक प्लान के मुताबिक ही होते हैं। मानव मस्तिष्क जैसी अनिश्चिततता उनके मस्तिष्क में नहीं होती है। उनके सारे काम एसीमोव के तीन नियमों के अंतर्गत ही होते हैं। अब तो उनकी रचना में लिंग भेद भी किया जाने लगा है यानि कि मेल और फीमेल एंड्रोइड भी बनाए जाने लगे हैं।
मेरे सोचने का क्रम भंग किया सेक्रेट्री की सुरीली आवाज ने “क्या सोच रहे हैं सर?”
मैं सकपका गया था, अनायास ही मेरे मुंह से निकला, “कुछ नहीं, तुम्हें देख रहा था।”
“क्या देखा सर?”
“तुम कितनी खूबसूरत हो”, मैने मजाक करना चाहा।
“कम्प्लीमेंट के लियेशुक्रिया, पर सर मेरी ये खूबसूरती प्री-प्लांड नहीं है”, वह अपने बारे में बोलने के मूड में थी।
“तो”
“मै रोबो-कास्मेटिक्स का प्रयोग करती हूं इसलिए।”
“क्या?”
“जी सर, हम लोग तो अब रोबो ब्यूटी पार्लर भी जाते हैं; खास कर जब आप हमें रीचार्जिंग के लिए भेजते हैं।”
“अच्छा?”
“जी सर। जब आप हमें रिशेप्सनिस्ट, नर्स, वेट्रेस या एनाउंसर के काम पर रखते हैं तो सर हमको भी अच्छा, सुंदर और प्रेजेंटेबल दिखना चाहिए?”
“आफ कोर्स”
“पर तम्हारे कास्मेटिक्स और ब्यूटी पार्लर के बिल?”
“फिक्र करें, वे आपके और मेरी एग्रीमेंट का हिस्सा हैं, नथिंग एक्सट्रा।”
“ओके मिस नथिंग एक्स्ट्रा, मैं आपको जूली कह कर पुकारूं तो कोर्इ एतराज?”
“माय प्लेजर सर।”

यह थी जूली से मेरी पहली मुलाकात। जूली को मैने अच्छी-खासी रकम खर्च करके सेक्रेट्री की जगह के लिए हासिल किया था। इक्कीसवींशताब्दी में हुए जनसंख्या-विस्फोट के परिणाम स्वरूप, सीमित संसाधनों को हासिल करने की होड़ में हुर्इ मारकाट, कर्इ बड़े युद्धों और सामाजिक प्रयासों के चलते अब चालीसवींशताब्दी में मानव जनसंख्या इतनी रह ही नहीं गयी थी कि ऐसे कामों के लिये इंसान उपलब्ध हो पाते। हां ऐसे कामों के लिये अति विकसित एंड्रोइड उपलब्ध थे; जो भरोसेमंद भी थे और अपेक्षाकृत सस्ते भी।


जूली के साथ मेरे पहले 5-6 महीने तो बड़े अच्छे गुजरे। वह मेरे सारे अपाइंटमेंट का खयाल रखती, मरीजों को सारी हिदायतें देती, उनकी समस्याओं को सुनकर,शोर्ट में मेरे कम्प्यूटर में फीड करती। मैं उसे पाकर बहुत खुश था
पर पिछले कुछ सप्ताहों से मुझे अब उसमें बहुत सारे अजीब से परिवर्तन नजर आने लगे थे। एक दिन जब मैने अपने चैंबर में प्रवेश किया तो चैम्बर की फिजां ही बदल गयी थी। मेरी मेज पर से मेरी प्रिय सिगरेटों का डिब्बा गायब था।क-गीत
“मेरी सिगरेट कहां है, तुम्हें पता है जूली?”
“डस्ट बिन में”
“किसने फेंका उन्हें डस्टबिन में?”
“मैने”
“पर क्यों?
“क्योंकि आपको ऐसी हालत में सिगरेट नहीं पीना चाहिए”
“क्या मतलब है तुम्हारा जूली?”
“वह आदमी जिसका कोलेस्ट्राल इतनी तेजी से बढ़ रहा हो, जिसके फेफड़ों में इतने ज्यादा एम्फाइसीमेटस चेंन्जेज रहे हों उसे सिगरेट नहीं पीनी चाहिए।”
“व्हाट, तुम्हें ये सब कैसे पता लगा?”
“मैने आपका हेल्थ रिकार्ड स्कैन किया तब पता चला कि.....
“किसकी परमीशन से”, मैं चिल्लाया।
“सॉरी सर”
“ओके, अब अपने काम पर लगो।”
और वह चुपचाप बाहर निकल गर्इ।
बात यहीं तक रहती तो कुछ नहीं था पर दोपहर को जब मैं खाने की टेबिल पर पहंचा तो मेरा सिर भन्ना गया। मेरे लंच में सिर्फ सलाद, उबली सब्जियां, चपाती और दाल थी। मेरे पसंद के सारे तले, चटपटे, मांसाहारी व्यंजन नदारद थे। मैने तुरन्त अपनी टिफिन सर्विस को फोन किया और उन्हें डांट पिलार्इ, “यह क्या बेवकूफी है इतना वाहियात खाना”
“सारी सर, सवेरे आपकी सेक्रेट्री का फोन आया था कि अब से आपको यही खाना सर्व किया जाए क्योंकि आपका कोलेस्ट्राल.......”
“डैम इट “, मैने भन्ना कर फोन बंद कर दिया और चिल्लाया,”जूली”
“यस डाक्टर”, जूली सामने खड़ी थीशांत निर्विकार।
“व्हाट इज दिस? हाउतियज्ञ  डेयर यू? मैं यह सड़ा खाना खाऊॅंगा”, मैने खाने की प्लेट उठार्इ और फेंक दी जो जाकर जूली को लगी। उसका शरीर खाने की गंदगी में सन गया। मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर था।
“लिसिन, तुम्हें अपने काम से काम रखना है बस। वह काम ही करना है जिसके लिए मैने तुम्हें हायर किया है।”
“यस सर” जूली के स्वर में कंपन था। स्पष्ट था उसे यह सब अच्छा नहीं लगा था। मैं ताज्जुब में था रोबोट में तो संवेदेनाएं होती नहीं, फिर यह सब क्या है?
दिन भर का काम खत्म करके जब मैं अपनी इजी चेयर में आकर सुस्ताने लगा तो दिन भर की बातें एक-एक करके दिमाग में आने लगीं। मैने जूली के साथ ठीक नहीं किया था। वह तो मेरी फिक्र कर रही थी और मैं उस पर नाराज हो रहा था। तभी एक आहट से मेरा ध्यान टूटा। आंखे खेाल कर देखा तो सामने जूली थी।
“आप मुझसे नाराज हैं सर?”
“न...न... नहीं तो”, मैं हकलाया।
“सारी सर, मुझे अच्छा नहीं लगा था आपका, अपनी सेहत को यूं बरबाद करना”
अब चौंकने की बारी मेरी थी।
“जूली?”
“जी सर”
“मैं देख रहा हूं कि तुममें बहुत सारे परिवर्तन रहे हैं, क्यों?”
“आप बहुत थक गये हैं सर।”
“बातें मत बनाओ, मेरे सवाल का जवाब दो।”
जूली चुप थी।
“बोलती क्यों नहीं, जवाब दो...यस-यस, कम ऑन”
“ज.....ज...जी इसलिये... इसलिये कि  मैं आपको प्यार करने लगी हूं”
“प्यार, एक एंड्रोइड और प्यार”, मैं खुल कर हंसा।
“कुछ गलत कहा मैने सर?”
“हॅु, क्या” जैसे मैने वह सुना ही हो।
“कुछ गलत कहा मैने सर?”
“नहीं तो”
“आप ही तो कह रहे थे उस दिन कि प्यार एक बेशकीमती भावना है। प्यार इंसान को र्इश्वर बना देता है।”
मैं जैसे आसमान से गिरा। एक एन्ड्राइड से ऐसे व्यवहार की आ्शा तो कतर्इ नहीं की जाती। ऐसा तो उनके मस्तिष्क के प्लान में फीड भी नहीं होता है। मैने विस्मय से कहा,” जूली तुम तो इंसानों की भाषा बोलने लगी हो ?”
“प्यार का असर है। जो प्यार इंसान को भगवान बना सकता है वह क्या एक एंड्रोइड को इंसान नहीं बना सकता।”
“वंडरफुल! पर तुमने ये सब कहां से जाना?”
“आप ही तो कह रहे थे उस दिन अपनी फ्रेंड राधा से।”
“और तुम मेरी जासूसी कर रही थी?”
“जी सर”
“ओह, तो इसका मतलब ये सच है कि मुझसे मुलाकात के बाद तुमने राधा को धमकाया था और कभी भी मुझसे दोबारा मिलने को कहा था?”
“जी सर”, जूली ने सिर झुका लिया।
“पर क्यों... क्यों जूली, क्यों?”
“सारी सर, जब वह आपको लड़की आपसे बात कर रही थी, मुझे बुरा लग रहा था ।”
“बुरा लग रहा था! व्हाट डू यू मीन? तुम्हें बुरा और अच्छा भी लगता है? यू आर एंड्रोइड  जूली।”
“एंड्राइड  जे.यू.एल.-124 है, जूली नहीं और जूली को अच्छा और बुरा लगता है सर।”
“देखो जूली समझने की कोशिश करो। तुम्हारे ये सारे व्यवहार आसिमोव के नियमों के खिलाफ हैं और आसिमोव नियमों के बाहर रोबोट का कोर्इ अस्तित्व ही नहीं है।”
“तो मुझे एंड्रोइड से मानव बना लीजिये सर। आप तो इतने बड़े डाक्टर हैं। कोर्इ दवा कोर्इ आपरेशन”, और जूली ने अपने हाथों में मेरा चेहरा थाम मेरे माथे के बीच चूमा।
मैं भौंचक था। एक बात मैने और नोट की। आम तौर पर एंड्रोइड के हाथों का तापमान मानवशरीर के तापमान के बराबर रखा जाता है पर जूली के हाथ गर्म थे।
उस रात मैं सो नहीं सका। मै जान गया था कि जूली में कोर्इ बड़ी खराबी गयी है। जूली का व्यवहार अलग जरूर था पर मुझे वह बुरा नहीं लगता था।
अगले दिन उठते ही मैने घोषणा की, “जूली”
“यस सर”
“तुम्हें आज अपने वर्कशाप वापस जाना है।”
“क्यों सर? मेरी न्यूक्लीयर बैटरी तो ठीक काम कर रही है।”
“नहीं, उसके लिए नहीं। तुम्हें तुम्हारे रिवेल्युयेशन के लिये वर्कशाप जाना है। जो परिवर्तन तुममें रहें हैं उनके निराकरण के लिये तुम्हारा वर्कशाप जाना जरुरी है।”
“पर सर क्या मेरे व्यवहार से आपको परेशानी होती है?”
“नहीं तो”
“तब फिर सर आप मुझे वर्कशाप क्यों भेज रहे हैं ?”
“बहस मत करो जूली”
जूली थोड़ी देर खामोश रही।
“सर”
“क्या है?”
“सर आप मुझे वर्कशाप मत भेजिए।”
“क्यों?”
“लगता है मैं वहां से कभी वापस नहीं लौटूंगी, वे मार डालेगें मुझे”
“मार डालेंगे! जूली तुम ये कौन सी भाषा बोल रही हो? एंड्रोइड कहीं मरता है, वह तो सिर्फ डिसमेंटल होता है। जूली तुम्हें ये हुआ क्या है?”
“प्यार”, जूली धीरे से फुसफुसार्इ।
जूली ने अपने वापस जाने का जोरदार विरोध किया था पर अंतत: उसे जाना ही पड़ा था। जाते समय जूली का वह मुड़ कर पीछे देखना मुझे बहुत देर तक नहीं भूला।
दूसरे दिनशाम को मेरा मित्र और एंड्रोइड साइकोलाजिस्ट आनंद मेरे घर आया।
“आनंद जूली, कैसी है वह” उसे देखते ही मैने उस पर सवाल दागा।
“अरे बैठने तो दे यार, हूं, तो कौन जूली?”
“वही जे.यू.ल. वन टू फोर मेरी एंड्रोइड सेक्रेट्री।”
“ओह जे.यू.ल. वन टू फोर?”
“हॉ वही वही”, मैं उतावला हो रहा था।
“हम तुम्हें दूसरी एंड्रोइड सप्लार्इ कर देंगे डाक्टर।”
“पर आनंद जूली, जूली आइ मीन जे.यू.ल. वन टू फोर, उसका क्या हुआ?”
“जे.यू.ल. वन टू फोर ?
“हां हां क्यों, क्या हुआ उसे? कोर्इ खास बात?”, मैं अपनी घबराहट छिपा नहीं पा रहा था।
“अजीब समस्या खड़ी कर दी उसने। पहले तो उसने अपने को इवेल्युएट करवाने में काफी झगड़ा किया। टेम्परेरी डीएक्टीवेशन के बाद ही उसे इवेल्युएट किया जा सका।”
“फिर।”
“वह तो पहेली बन गर्इ थी हम सब के लिए। उसके  व्यक्तित्व में इमोशंस की मिलावट होने लगी थी। प्रीडि​क्टेविलिटी या नियंत्रित व्यवहार जो एंड्रोइड मस्तिष्क को मानव मस्तिष्क से अलग करता है वह उसमें समाप्त हो रहा था। वह अपने इवेलुएट किये जाने का विरोध कर रही थी। एन्ड्रोइड तो ऐसा नहीं करते। मैने जब उसके मस्तिष्क को उसके ओरिजिनल प्लान से मिलाया तो मेरा वजूद हिल गया। उसमें अपने आप से कुछ नये सर्किट पैदा हो गए थे। यहीशायद उसके इस विचित्र व्यवहार का कारण रहे होंगे। डाक्टर यह रोबोटिक्स के इतिहास की सबसे बड़ी दुर्घटना थी।”
“क्या मतलब”
“तुम्हारी जूली यानि जे.यू.ल. वन टू फोर किसी एंड्रोइड में सेल्फ रीजेनरेशन की दुर्घटना का पहला उदाहरण थी। इसका मतलब समझते हो तुम?
“नहीं”
“इसका मतलब है कि रोबोट मस्तिष्क में अपने आप सोच कर व्यवहार में फेर बदल की क्षमता का पैदा होना। इससे उनके मस्तिष्क की वह प्रीडिक्टेबिलिटी या निश्चितता खत्म हो जाती है जिसके कारण मनुष्य उनसे अलग है, उनका मालिक है। अगर रोबो खुद सोचने लगे तो पता है क्या होगा? उनके व्यवहार पर मानव का नियंत्रण समाप्त हो जाएगा। वे स्यंव सोचने लगेंगे, स्वयं  निर्णय लेने लगेंगे और फिर उसके उसके मुताबिक काम भी करने लगेगें। तब  इंसान उनका मालिक नहीं रह जायेगा। वे एक अलग प्राणी होगें, इंसान के अस्तित्व को चुनौती देते हुए। इन दोनों के टकराव में निश्चित रूप से जीत एंड्रोइड्स की होगी, क्योंकि शारीरिक रूप से वे काफी मजबूत होगें। अगर इंसान इन मशीनों का गुलाम हो गया तो सोच सकते हो क्या होगा?”
“पर जूली कहां है आनंद?”
“नो प्राब्लम डाक्टर कल हम आपकों दूसरी रोबो सेक्रेट्री भिजवा देंगे।”
“क्या, इट मींस तुमने उसे मार डाला?”
मेरे हाथ आनंद की गर्दन पर थे मैं उसे झिंझोड रहा था। आनंद ने अपनी गर्दन पर से मेरे हाथों को खींच कर हटाया।
“डाक्टर! तो क्या तुम भी? तुम उस एंड्रोइड को प्यार......?”
मेरा मन हुआ कि चिल्ला कर कहूं, “हां मैं जूली को प्यार करने लगा था।”
पर मैं अपने ही साथी के द्वारा अपनी हंसी नहीं उड़वाना चाहता था इसलिए आखों में आए आसुंओं की पोंछ कर सामान्य दिखने की असफल कोशिश करने लगा।

“जस्ट ्रार्इ टू अंडरस्टेंड डाक्टर, जे.यू.ल. वन टू फोर में हुआ ये सेल्फ रीजेनेरेशन अगर आगे की सिरीज में प्रोपेगेट कर जाता तो एक दिन मानव सभ्यता का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाता ? डाक्टर इतनी बडी दुर्घटना को टालने के लिए तुम्हारी जे.यू.ल. वन टू फोर को डिसमेंटल करना जरुरी था। माफ करना यार डाक्टर इंसानियत को बचाने के लिए तुम्हारी जूली का यह बलिदा जरूरी था।”                

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