गुरुवार, 11 अक्तूबर 2018

तू डाल-डाल, मैं पात-पात


डा अरविन्द दुबे
ये सब अचानक हुआ। मैं उस सुनसान सड़क पर अपने मोबाइल पर मैसेज पढ़ता हुआ अकेला चला जा रहा था। तभी मैने देखा कि आसमान से चांदी के रंग का एक ड्रोन तेजी से उतरा और मेरे लेवल पर आकर मंडराने लगा। इस पर एक छोटी सी गन बंधी थी और एक छोटा सा झोला लटका था। उस पर लगे स्पीकर से आवाज रही थी रुक, अपना मोबाइल इस झोले में डाल वरना गोली मार दूंगा। मैने सोचा कि शायद मेरा कोई दोस्त मेरे साथ मज़ाक कर रहा है। मैं मुस्कराया और आगे बढ़ने लगा। उसने एक बार फ़िर चेतावनी दी पर मैने मुस्करा कर अनसुना कर दिया। अबकी बार उस गन से सचमुच गोली चली जो मेरे बाजू में लगी। मैने डर कर अपना मोबाइल उस झोले में डाल दिया। ड्रोन से फ़िर आवाज आई जेब में जो रुपए हैं वह भी झोले में डालो। मैने कहा मेरे पास रुपए नहीं हैं तो आवाज आई कि जेबें उलट कर दिखाओ और इस तरह उसने मेरी जेबें भी खाली करवा लीं। इसके बाद वह तेजी से ऊपर उठा और चांदी के रंग का होने के कारण आसमान में अद्र्श्य हो गया”, पुलिस अधिकारी राजेश ठाकुर के सामने कुर्सी पर बैठा इस अजीब सी लूट का शिकार वह युवक अपना बयान दे रहा था।

राजेश को ये सब एक मनगढंत कहानी लग रही थी और उसका पुलिसिया दिमाग इसके पीछे छिपे उद्देश्य को समझने में लगा था। इसलिए वह उस युवक से तरह तरह के टेढ़े-मेढ़े सवाल पूछ रहा था। अंततः वह युवक झल्ला गयामेरे पास अब और कुछ बताने के लिए नहीं है। जब आप मेरी बात पर यकीन ही नहीं कर रहे हैं तो फ़िर बताने से क्या फ़ायदाऔर वह युवक कुर्सी से उठ कर चला गया।
कैसे-कैसे पागल लोग जाते हैं, दो छटांक लगाई नहीं कि हवा में परियां नज़र आने लगतीं हैं, साले दारुबाज।

पर जब अगले दिन सारे अखबारों में इस तरह की आठ-दस और घटनाओं की खबरें छपीं तो राजेश के साथ-साथ सारे लोग भौंचक्के थे। जब दिनों-दिन इस रहस्यमय हाईटेक लुटेरे के कारनामे बढने लगे तो पुलिस पर इस गुत्थी को सुलझाने का दबाव बढ़ने लगा।

राजेश अब बहुत परेशान था। उसकी नौकरी पर बन आई थी। कंप्यूटर इंजीनियर सुधीर अपने मित्र राजेश की परेशानी देख कर इस गुत्थी को सुलझाने का मन बना चुके थे। आज अपने उसी प्लान के तहत वह इस हाईटेक लूट के पहले शिकार की तरह एक सुनसान सड़क पर अपने मोबाइल में मैसेज पढ़ने का बहाना करते हुए, देखने में लापरवाह पर वास्तव में बेहद चौकन्ने होकर धीरे-धीरे चले जा रहे थे। उनकी अपेक्षा के अनुरूप अचानक एक चांदी के रंग एक ड्रोन अवतरित हुआ जिसे पूरे ड्रामे के बाद सुधीर ने अपनी वह मोबाइलनुमा डिवाइस सौंप दी और अपनी जेबें भी उलट कर दिखा दीं।

ड्रोन के अंतर्ध्यान होते ही सुधीर ने भाग कर सड़क के किनारे झाड़ियों में पहले से छुपा कर रखी एक और मोबाइलनुमा डिवाइस उठा ली और उस ड्रोन को ट्रैक करने लगे। वास्तव में वह सेटेलाइट से जुडी एक तरह की फ़ोन-कम-ट्रैकिंग डिवाइस थी। परिणाम देख कर सुधीर हैरत में थे। इस ड्रोन को कोई व्यक्ति सेटेलाइट के ज़रिए मीलों दूर से नियंत्रित कर रहा था जबकि सब लोग इस भ्रम में थे कि ड्रोन को आपरेट करने वाला शातिर अपराधी कहीं आस-पास ही है और निकम्मी पुलिस उसे पकड़ नहीं पा रही है। सुधीर का यह डिवाइस सेटेलाइट के ज़रिए पुलिस हेड्क्वाटर से जुड़ा था जिससे  इस ट्रेकिंग की जानकारी सीधे-सीधे पुलिस हेड्क्वाटर में पहुंच रही थी। हेड्क्वाटर के लोग ड्रोन जाने के मार्ग में पड़ने वाले सारे पुलिस स्टेशनों को चौकन्ना करते जा रहे थे और वहां से पुलिस कर्मी सर्विलांस किट के साथ लुटेरे को दबोचने के लिए निकलते जा रहे थे। 20 मिनट बाद ड्रोन का मूवमेंट समाप्त होने का सिग्नल मिला। सुधीर को अब उस लुटेरे को सौंपी गई अपनी उस मोबाइलनुमा डिवाइस से छेड़-छाड़ के सिग्नल मिलने लगे थे। सुधीर ने अपनी डिवाइस के ज़रिए लुटेरे को सौंपी उस डिवाइस को वीडिओ काल पर कनेक्ट किया और कहातुम्हारा खेल खत्म हुआ, पुलिस यहीं आस-पास है, अपने आप को पुलिस के हवाले कर दो।
कौन हो तुम”, उस व्यक्ति की डरी-डरी आवाज आई और साथ ही उस व्यक्ति के पीछे की बैकग्राउंड बदलने लगी, यनि कि वह व्यक्ति उस डिवाइस को लेकर भाग रहा था। सुधीर ने अपनी डिवाइस में एक बटन दबाया, एक धमाके की आवाज सुनाई दी फ़िर उस व्यक्ति की

बास्टर्ड”, वह व्यक्ति जोर जोर से चीख रहा था। उसकी डिवाइस में एक जोरदार विस्फ़ोट हुआ था जिससे उसके हाथ की सारी उंगलियां उड़ गईं थीं और हथेली बुरी तरह जख्मी हो गई थी।

बाद की जांचों में खुलासा हुआ कि एक टेलीकम्युनिकशन कंपनी के एक कर्मचारी ने अपनी कंपनी के ट्रांस्पोंडर का कोड हैक कर के इस हाईटेक लूट की कार्यवाही को अंजाम देना शुरू किया था। पर अब वह भविष्य में ऐसा नहीं कर पाएगा क्योंकि विस्फ़ोट में जख्मी हुए उस व्यक्ति के हाथ को इंफ़ेक्शन के कारण काटना पड़ा है। बाद में सुधीर ने एक ऐसा फ़्री एप भी विकसित किया है जिसे किसी भी मोबाइल में डाउनलोड किया जा सकता है। इस हाईटेक डकैती के समय मोबाइल से इस एप के ज़रिए ड्रोन का दूरस्थ नियंत्रण छिन्न-भिन्न किया जा सकता है और उस ड्रोन को धराशायी किया जा सकता है।
    


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