शनिवार, 14 सितंबर 2019

मिशन चंद्रयान


डॉ अरविंद दुबे
(101 शब्दों की विज्ञान कथा)

वे लोग अपनी अंधेरी दुनिया में शांति से रह रहे थे पर कुछ वर्षों से उन पर परग्रही आक्रमणों का खतरा मंडरा रहा था।
आज फ़िर उनके अंधेरे अंतरिक्ष में एक परग्रही यान दिखा।
हर बार की तरह उन्होंने अचूक निशाना लगाया। यान आसमान में लड़खड़ाया और जलता हुआ नीचे आ गिरा। 
वहां के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई।
पृथ्वी पर एक राष्ट्र के अंतरिक्ष केंद्र प्रमुख प्रेस को बता रहे थे, "चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरते समय अंतिम क्षणों में पता नहीं क्यों लैंडर से हमारा संपर्क  टूट गया है। हम आंकड़ों का अध्ययन कर रहे हैं।  

शुक्रवार, 23 अगस्त 2019

 हिंदी विज्ञान कथा लेखक बंधुओ 
आप सब से सहयोग की अपेक्षा के आधार पर मैंने एक बड़ा काम हाथ में लिया है। मैं हिंदी विज्ञान कथा लेखकों की एक दिग्दर्शिका बनाना चाहता हूं जिसमें उनके जीवन और उनके कृतित्व के बारे में विस्तृत जानकारी होगी। कुछ एक मशहूर नामों को छोड़कर मेरे पास एक लंबी फेहरिस्त ऐसे नामों की है जिनकी एक या दो विज्ञान कथाओं के बारे में मुझे जानकारी तो है लेकिन उनका फोन नंबर उनका पता उनका ई-मेल पता कुछ भी मेरे पास नहीं है। यह उन्हें इस दिग्दर्शिका में पूर्णरूपेण शामिल कर पाने के बारे में एक सबसे बड़ा अवरोध है। मैंने हिंदी विज्ञान तथा लेखकों की नवीनतम सूची व्हाट्सएप, ईमेल, फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि सब पर अपने मित्रों के साथ शेयर की है फिर भी ऐसे बहुत सारे हिंदी विज्ञान कथा कारों का कोई अता पता नहीं मिल पा रहा है। यहां पर मैं आपसे एक सहयोग की अपेक्षा करता हूं। आपके पास मेरा जो प्रोफार्मा पहुंचा है, जिसमें आपको अपनी सूचनाएं देने के लिए कहा गया है, उस प्रोफार्मा को अपने व्हाट्सएप ग्रुप में, अपने फेसबुक वॉल पर, इंस्टाग्राम, टि्वटर और कोई भी सोशल मीडिया अकाउंट जो आप शेयर कर रहे हों, उसमें अवश्य पोस्ट करें ताकि मेरी यह सूचना उन लोगों तक पहुंच सके जिन लोगों के बारे में अभी तक मुझे कुछ अता-पता नहीं है क्योंकि ऐसे लोगों को शामिल किए बिना यह दिग्दर्शिका अधूरी ही रहेगी। तो आइए इस बड़े प्रयास में मेरा सहयोग कीजिए क्योंकि आप लोगों के सहयोग के बिना यह बड़ा काम संभव नहीं है। यदि कोई विज्ञान हिंदी विज्ञान कथा लेखक बंधु आपके व्यक्तिगत संपर्क में हो तो मुझे उनका पता, फोन नंबर, ई-मेल पता, मेरे इस अकाउंट पर, मेरे ईमेल drarvinddubey2004@gmail.com पर या मेरे फोन नंबर 07355604543 पर भेजने की कृपा करें। यह आपका मेरे ऊपर व्यक्तिगत उपकार रहेगा।

शनिवार, 17 अगस्त 2019

रेट्रो ह्यूगो अवॉर्ड्स


यह तो सब लोग जानते हैं कि ह्यूगो  अवॉर्ड्स साइंस फिक्शन के लिए विभिन्न कैटेगरी में दिए जाते हैं  यह रेट्रो ह्यूगो अवॉर्ड्स, ह्यूगो अवॉर्ड्स का एक अलग अवतार है। ह्यूगो अवॉर्ड हर साल साइंस फिक्शन वर्ल्डकोन कॉन्फ्रेंस में बैलेट द्वारा तय किए जाते हैं। अगर कोई साल ऐसा निकल जाए जिस साल किसी वजह से ह्यूगो अवार्ड न दिया जा सके तो उसके लिए यह नियम बनाया गया कि जिस वर्ष में ह्यूगो अवार्ड नहीं दिया जा सका है उसके 50, 75 या 100 साल बाद कोई साइंस फिक्शन वर्ल्डकोन होती है तो उसमें यह तय किया जा सकता है कि यदि जिस साल ह्यूगो अवार्ड नहीं दिया गया था उस साल सचमुच साइंस फिक्शन वर्ल्डकोन होती और ह्यूगो अवॉर्ड दिए जाते तो उस साल कौन-कौन सी साइंस फिक्शन, पुस्तकों या लेखन पर ह्यूगो अवॉर्ड मिल सकते थे? उसी लेखन और उन पुस्तकों को 50, 75 या 100 साल बाद की साइंस फिक्शन वर्ल्डकॉन में एक बार घोषित किया जाता है। इस प्रकार के अवार्ड को रेट्रो ह्यूगो अवार्ड कहते हैं।
 इन अवॉर्ड्स को निर्धारित करने के लिए 50, 75 और 100 वर्ष की कालावधि क्यों निर्धारित की गई इसके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है । हो सकता है कि यह बस यूं ही हो। स्वर्ण जयंती प्लेटिनम जयंती और हीरक जयंती जैसा कुछ।
सन 1941 में ह्यूगो अवार्ड नहीं दिए जा सके थे इसलिए सन 2016 जो कि सन 1941 के 75 वर्ष बाद पड़ता है की wordcon में रेट्रो ह्यूगो अवार्ड की घोषणा की गई थी यानी कि सन 1940 में वह संभावित लेखन जिनको सन 1941 में ह्यूगो अवार्ड  मिल सकता था उसकी घोषणा उसके 75 वर्ष बाद 2016 में की गई थी जिसकी लिस्ट निम्न है-
BEST NOVEL
Slan, A.E. Van Vogt (Astounding ScienceFiction, December 1940)
BEST NOVELLA
“If This Goes On…”, Robert A. Heinlein (Astounding Science-Fiction, February 1940)
BEST NOVELETTE
“The Roads Must Roll”, Robert A. Heinlein (Astounding Science-Fiction, June 1940)
BEST SHORT STORY
“Robbie”, Isaac Asimov (Super Science Stories, September 1940)
BEST GRAPHIC STORY
Batman #1, (Detective Comics, Spring 1940)
BEST DRAMATIC PRESENTATION, LONG FORM
Fantasia written by Joe Grant and Dick Huemer, directed by Samuel Armstrong et al. (Walt Disney Productions, RKO Radio Pictures)
BEST DRAMATIC PRESENTATION, SHORT FORM
Pinocchio , written by Ted Sears et al., directed by Ben Sharpsteen and Hamilton Luske (Walt Disney Productions, RKO Radio Pictures)
BEST EDITOR, SHORT FORM
John W. Campbell
BEST PROFESSIONAL ARTIST
Virgil Finlay
BEST FANZINE
Futuria Fantasia edited by Ray Bradbury
BEST FAN WRITER
Ray Bradbury
 सन 1944 में भी ह्यूगो अवार्ड नहीं दिए जा सके थे इसलिए सन 2019 जो कि सन 1944 के 75 वर्ष बाद पड़ता है की डबलिन वर्ल्ड कोन (15-19 अगस्त 2019) में रेट्रो ह्यूगो अवार्ड की घोषणा की गई यानी कि सन 1943 में वह संभावित लेखन जिनको 1944 में ह्यूगो अवार्ड  मिल सकता था उसकी घोषणा उसके 75 वर्ष बाद 2019 में की गई जिसकी लिस्ट निम्न है-
BEST NOVEL
Conjure Wife, by Fritz Leiber, Jr. (Unknown Worlds, April 1943)
BEST NOVELLA
The Little Prince, by Antoine de Saint-Exupéry (Reynal & Hitchcock)
BEST NOVELETTE
“Mimsy Were the Borogoves,” by Lewis Padgett (C.L. Moore & Henry Kuttner) (Astounding Science-Fiction, February 1943)
BEST SHORT STORY
“King of the Gray Spaces” (“R is for Rocket”), by Ray Bradbury (Famous Fantastic Mysteries, December 1943)
BEST GRAPHIC STORY
Wonder Woman #5: Battle for Womanhood, written by William Moulton Marsden, art by Harry G. Peter (DC Comics)
BEST DRAMATIC PRESENTATION, LONG FORM
Heaven Can Wait, written by Samson Raphaelson, directed by Ernst Lubitsch (20th Century Fox)
BEST DRAMATIC PRESENTATION, SHORT FORM
Frankenstein Meets the Wolfman, written by Curt Siodmak, directed by Roy William Neill (Universal Pictures)
BEST EDITOR, SHORT FORM
John W. Campbell
BEST PROFESSIONAL ARTIST
Virgil Finlay
BEST FANZINE
Le Zombie, edited by Arthur Wilson “Bob” Tucker
BEST FAN WRITER


रविवार, 26 मई 2019

त्रिशंकु

अरविन्द दुबे
“आप एक ज़ोम्बी वायरस से संक्रमित हैं। आपको प्लेनेट हेवन मे प्रवेश नहीं मिल सकता”, प्रत्यावर्तन अधिकारी ने कहा।
“पर मेरे ग्रह की मेडीकल क्लीयरेंस तो………”
“हो सकता है कि तब यह आपके अंदर सुसुप्तावस्था में रहा हो इसलिए इसका पता न लगा हो और अब यह  अंतरिक्ष यात्रा के तनाव से सक्रिय हो गया हो।“
“आपके शरीर में एक निष्क्रिय वाइरल डीएनए मौजूद है”, उस आफ़ीसर के शब्द उसके कानों में गूंज रहे थे जिसे उसने रिश्वत दी थी।
“मेरे ग्रह वाले भी क्या मुझे ग्रह में घुसने देंगे”, अपने ग्रह की ओर लौटते हुए वह सोच रहा था। 

यति


डा. अरविन्द  दुबे


"कैसा रहा आपका मिशन अर्थ कैप्टन जारो", शिया अंतरिक्ष प्रमुख ने पूछा।
"सफल, हमने पृथ्वी का बारीकी से अध्ययन किया। पृथ्वी पर मानव जैवविविधता को नष्ट करके और वातावरण प्रदूषित करके ग्रह को विनाश की ओर धकेल रहा है।"
"मतलब कुछ शताब्दियों में पृथ्वी हमें खनन के लिए मिल सकती है। हां  अर्थ लेंडर के साथ अनुभव कैसा रहा?"
"वंडरफुल, मानवाकार होने के कारण कोई इसे पहचान नहीं  पाया। चलते समय इसके दोनो रोबोट आर्म के र्फ पर बने निशानों को पृथ्वीवासी किसी विशालकाय हिममानव के पैरों के निशान मान रहे थे। वे इसे यति कह रहे थे।"


सोमवार, 13 मई 2019

विज्ञान संचार में विज्ञान कथाओं का योगदान


डॉ अरविंद दुबे

विज्ञान कथाएं जिस स्वरूप में पहले-पहल लोगों के सामने आईं थीं उससे वे अब काफी आगे आ चुकी हैं। अब ये  किशोरों की कहानियां भर नहीं है वरन विज्ञान को जन सामान्य तक पहुंचाने की महती भूमिका भी भली प्रकार निभा रहीं है। विज्ञान कथा का जनसाधारण से इस रूप में परिचय कराने का श्रेय अमेरिकी संपादक ह्यूगो गर्न्सबैक को जाता है जिनकी अप्रैल 1926 से प्रकाशित अमेजिंग स्टोरीज़ इस प्रकार की पहली पत्रिका थी जिसमें सिर्फ इस प्रकार की विज्ञान कथाएं छपी थीं।
वैसे तो विज्ञान कथाओं के इतिहास शायद उतना ही पुराना होगा जितना की मानव द्वारा बोली जाने वाली भाषा। चूंकि विज्ञान तो हमारे चारों ओर है  प्रकृति के सारे नियम विज्ञान से ही संपादित होते हैं तो उस समय आपस में कहीं जाने वाली कथा-कहानियों में विज्ञान कथाओं का उद्भव मिल सकता है। यह बात और है कि तब कोई उन्हें विज्ञान कथा या साइंस फ़िक्शन के नाम से नहीं जानता था। आज हम उन्हें प्रोटो साइंस फ़िक्शन के खांचे में इसलिए फिट करते हैं क्योंकि तब हम विज्ञान कथा जैसी विधा के बारे में सोच नहीं पाए थे वरना यह तो उस समय की पूर्ण विज्ञान कथाएं थीं। धार्मिक पुस्तकें इस प्रकार की विज्ञान कथाओं से भरी पड़ी है कोई न कोई विज्ञान कथा हम सब ने बचपन में पढ़ी जरूर है आज विज्ञान कथाएं सिर्फ़ रोमांच और बुद्ध विलास की कथाएं नहीं है वह विज्ञान संचार के महत्वपूर्ण उपादान के रूप में विकसित होती जा रही हैं।
विज्ञान संचार क्या है?
वैसे तो विज्ञान संचार की बहुत सारी परिभाषाएं दी गई हैं जो विषय को स्पष्ट करने की बजाय दिग्भ्रमित ही करती हैं। विज्ञान से संबंधित विषयों की जानकारी देना या इस जानकारी को दूसरों से साझा करना या ऐसे विषयों के बारे में जनसामान्य की जानकारी में बढ़ोतरी करना या किसी घटना या मुद्दे के वैज्ञानिक पक्ष की जानकारी जन सामान्य को देना ही मेरी नजर में विज्ञान संचार है। मेरे हिसाब से विज्ञान की यह सरलतम परिभाषा हो सकती है।
विज्ञान संचार किस किस के लिए?
विवरण की सुविधा हेतु हम विज्ञान संचार को दो प्रकार का कह सकते हैं-
अपने जैसों के बीच (इन रीच) विज्ञान संचार- इन में वैज्ञानिक तथ्यों की जानकारी एक विशेषज्ञ किसी दूसरे विशेषज्ञ या विज्ञान की पृष्ठभूमि वाले दूसरे व्यक्ति को देता है। यह विशेषज्ञ एक ही विषय के या अलग-अलग विषयों के हो सकते है वैज्ञानिक गोष्ठियां, सिंपोजियम, सेमीनार, जर्नल्स में वैज्ञानिक आलेखों का प्रकाशन, कक्षाओं और प्रोफेशनल कोर्स में विज्ञान विषयों की पढ़ाई, विज्ञान छात्रों के लिए आयोजित कार्यशालाएं, ओन हेंड ट्रेनिंग आदि इसी श्रेणी के विज्ञान संचार हैं। अन्य विषय के विशेषज्ञों को दिए जाने वाले सुझाव भी इसी श्रेणी में आते हैं, जैसे कि सरकारी संस्थाओं में नियम बनाने हेतु, या उनके क्रिया-कलापों को  संचालित करने में सुविधा हेतु किया जाने वाला विज्ञान संचार जैसे कि स्वास्थ्य मंत्रालय के टेक्नोक्रेट्स को चिकित्सा विज्ञान की जानकारी भी इसी श्रेणी का विज्ञान संचार है।
विशेषज्ञ और जनसामान्य के बीच (आउट रीच) विज्ञान संचार- एक विषय विशेषज्ञ या एक विज्ञान संचारक विज्ञान विज्ञान की बातों को जनसामान्य तक पहुंचाता है जिनमें अधिकांश की तो वैज्ञानिक पृष्ठभूमि तक नहीं होती है। इसे आम भाषा में  पॉपुलर साइंस कम्युनिकेशन भी कहा जाता है। विज्ञान और विज्ञान से इतर पत्रिकाओं, अखबारों, डिजिटल मीडिया, टेलीविजन, रेडियो में जनसामान्य के लिए लिखे गए लेख, विज्ञान विषयों पर जनसामान्य के लिए बने ऑडियो या वीडियो कार्यक्रम, सामान्य जन के लिए आयोजित विज्ञान कार्यशालाएं इसी श्रेणी में आती हैं। जनसामान्य के बीच वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने में इस प्रकार के विज्ञान संचार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
क्या है विज्ञान कथा?
मत विज्ञान कथा से जुड़े हर मह्त्वपूर्ण व्यक्ति ने इसे अपने शब्दों में विज्ञान कथा को अपनी तरह से परिभाषित करने का प्रयास किया है। विज्ञान कथाओं के प्रख्यात हस्ताक्षर आइजेक आसिमोव के अनुसार विज्ञान कथा साहित्य की वह विधा है जिसमें वैज्ञानिक प्रगति के फलस्वरूप उत्पन्न होने या हो सकने वाले परिवर्तनों, उनके द्वारा उत्पन्न समस्याओं और उनके संभावित समाधान ओं को अभिव्यक्ति मिलती है। यानी कि उनके अनुसार विज्ञान कथा सीधे-सीधे वैज्ञानिक प्रगति मानव सभ्यता पर प्रभाव से अनुप्राणित है। अमेरिकी संपादक ह्यूगो गर्न्सबैक, जिन्होंने विज्ञान कथा को साइंटिफिक्शन का नाम दिया था ने अप्रैल 1926 मे अपनी पत्रिका अमेजिंग स्टोरी के पहले संपादकीय में कहा था कि विज्ञान कथाएं वह कहानियां हैं जिनमें मोहक रोमांस वैज्ञानिक तथा भविष्य की संभावनाओं से बुना जाता है। रे ब्रैडबरी विज्ञान कथाओं को समाजशास्त्रीय शोध पत्र मानते हैं जिनमें लेखक क्या हो सकता है उसकी संभावनाओं पर विचार व्यक्त करता है। विलियम एथलिंग जूनियर ने “ स्टडीज इन कंटेंपरेरी मैगजीन फ़िक्शन” में विज्ञान कथा को मानव जाति पर लिखी गई वह कथा माना है जिसकी मानवीय समस्याएं और उन समस्याओं के मानवीय हल का वर्णन उस कथा के वैज्ञानिक सिद्धांतों के आधार के बिना संभव ही नहीं था।  मेरा व्यक्तिक्त गत है कि विज्ञान कथा वह कथा है जिसका उसके वैज्ञानिक कंटेंट के बिना कोई अस्तित्व ही नहीं है आप उसमें से विज्ञान निकाल दीजिए उसका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। यह विज्ञान कथा की सरलतम परिभाषा हो सकती है।
फ़िक्शन बनाम फंतासी
विज्ञान कथा की कथा वस्तु के आधार पर विज्ञान कथाओं को मूलत: दो  वर्गों में बांटा जाता है- फ़िक्शन और फंतासी। फ़िक्शन ऐसे वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित होता है जो या तो वर्तमान में स्थापित सत्य होते हैं या फिर भविष्य में उनके सच हो सकने की संभावना होती है। फेंटेसी भी वैसे तो वैज्ञानिक तथ्यों के आस-पास ही चलती है पर इसमें लेखक अपनी कहानी की आवश्यकता के अनुसार तोड़-मरोड़ करता रहता है। जान कैंपवेल जूनियर के अनुसार विज्ञान फंतासी का एक ही नियम है कि जब आवश्यकता हो नए नियम का प्रतिपादन कर डालो। ऽधिकांश विज्ञान कथा लेखकों का मानना है कि विज्ञान कथा उन सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए जो या तो आज के परिपेक्ष में स्थापित हो चुके हो या फिर आज की जानकारी के आधार पर भविष्य में उनके सच होने की संभावना हो एक अच्छी विज्ञान कथा का स्वरूप यही होना चाहिए वरना देवकीनंदन खत्री के उपन्यासों को भी खांटी विज्ञान कथा मानने में क्या हर्ज है?
विज्ञान कथा कितनी भविष्योन्मुखी हो?
जब भी विज्ञान कथा के स्वरूप की बात की जाती है तो लोग यह कहना नहीं भूलते कि विज्ञान कथा को भविष्योन्मुखी होना चाहिए। मेरा व्यक्तिगत मत है कि विज्ञान कथा के साथ भविष्योन्मुखी की शर्त नहीं लगाई जानी चाहिए। अगर कोई विज्ञान कथा भविष्योन्मुखी है तो अच्छी बात है पर यह भाव नहीं होना चाहिए कि अगर कोई विज्ञान कथा भविष्योन्मुखी नहीं है तो वह विज्ञान कथा ही नहीं है। बिना भविष्योन्मुखी हुए भी विज्ञान कथाएं लिखी जा सकती हैं और काफी अच्छी लिखी जा रही हैं। इस संदर्भ में भविष्य को ठीक-ठीक परिभाषित करना आवश्यक है क्या सिर्फ 23 वीं सदी को ही भविष्य कहा जाना चाहिए? क्या परसों आज के हिसाब से भविष्य नहीं है? विज्ञान कथा का भविष्योन्मुखी होने का मतलब उनका भविष्य की कहानियां होना नहीं है इसलिए यह जरूरी नहीं कि विज्ञान कथा में वर्णित काल 21वीं सदी से इतर ही हो।
विज्ञान कथा लेखन क्यों?
क्या सिर्फ बुद्धि विलास के लिए, मनोरंजन के लिए या फिर कुछ नया करने के लिए?  इनमें से कोई भी कारण ऐसा नहीं है जिस अकेले के लिए विज्ञान कथा लेखन जरूरी हो। विज्ञान सिद्धांतों के निरीक्षण, परीक्षण और अन्वेषण पर आधारित एक कठिन विषय है। साथ ही यह हर व्यक्ति जिंदगी का अविभाज्य अंग भी है। पहले तो भारत में कहीं भी शत-शत साक्षरता है ही नहीं और जो साक्षर बने हैं या बन रहे हैं वह विज्ञान पढ़कर आए हों या विज्ञान पढ़ना उनके लिए जरूरी हो, ऐसा भी नहीं है। शिक्षा में विज्ञान एक वैकल्पिक विषय है जबकि जीवन में एक अनिवार्य और अति महत्व्पूर्ण विषय है। पाठ्यक्रम से इतर पढ़ने के लिए विज्ञान की पुस्तक एक सामान्य पसंद नहीं है। विज्ञान के क्षेत्र में हुआ हर परिवर्तन परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से समाज को प्रभावित करता है। विज्ञान में न्यूक्लीयर-फिशन खोजा गया उसका दंश झेला हिरोशिमा और नागासाकी ने, उससे लाभ उठा रही है तीन चौथाई मानवता। विज्ञान में कब, कहां, कैसे, क्या हो रहा है; यह जानकारी जनसाधारण को मिले इसके लिये आवश्यक है विज्ञान का ज्ञान रोचक रूप से आम बोलचाल की भाषा में जन-जन तक पहुंचना। विज्ञान कथा इस जमीन और समाज से जुडे वैज्ञानिक संवाद में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। विज्ञान कथाओं में मिलती है जन साधारण को भविष्य की आहट, आने वाले खतरों की पूर्व सूचना, वह भी पठनीय और मनोरंजक अंदाज में। इनके आधार पर मानवता अपने आप को मानसिक और शारिरिक दोनों स्तरों पर आने वाले कल के लिये तैयार कर सकती है।
इन-रीच विज्ञान संचार में विज्ञान कथाओं का उपयोग:  साई-फ़ाई-एड और यूनिवर्सिटी ऑफ एंजेलिना प्रोजेक्ट
वैसे तो इस क्षेत्र में छिटपुट काम तो बहुत जगहों पर हो रहे हैं। अमेरिकी विद्यालयों में विज्ञान पढ़ाने के लिए विज्ञान कथा साहित्य का उपयोग सन 1980 से किया जा रहा है किसके प्रबल समर्थक जिसके प्रोफेसर लेरॉय ड्यूबैक सन 1980 से ही भौतिकी पढ़ाने के लिए विज्ञान कथा साहित्य का प्रयोग कर रहे हैं। अब तक उन्होंने इस विषय पर कई मौलिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं। पर “साइंस फिक्शन इन एजुकेशन” या “साई-फ़ाई-एड” यूनिवर्सिटी ऑफ एंजेलिना परियोजनाएं विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
साइंस फिक्शन इन एजुकेशन या साई-फ़ाई-एड परियोजना
विज्ञान कथा की मदद से कक्षा में विज्ञान पढ़ाने हेतु और विज्ञान में रुचि जगाने सन 2012 से 2014 तक 5 योरोपीय देश साइप्रस, रोमानिया, आयरलैंड, पोलेंड और इटली की 6 शिक्षण संस्थाओं ने 9 से 15 वर्ष के बच्चों के लिए लम्बे समय तक चलने वाली इस परियोजना के मुख्य उद्देश्य निम्न हैं-
·         विज्ञान कथा के जरिए छात्रों में विज्ञान के अध्ययन के प्रति रुचि जागृत करना और उन्हें अपने उद्देश्यों की प्राप्ति की ओर अग्रसर करना।
·         विज्ञान और तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना।
·         विज्ञान की शिक्षा को वास्तविक जगत की समस्याओं से जोड़ना यथा ग्लोबल वार्मिंग और वातावरण क्षरण्।
·         सामाजिक रूप से पिछड़े बच्चों और लड़कियों में विज्ञान की शिक्षा का प्रसार करना।
·         शिक्षकों में विज्ञान शिक्षण हेतु रुचि जागृत करना और विज्ञान की शिक्षा में अभिनव प्रयोगों को बढ़ावा देना
साइंस फ़िक्शन टूल-किट
इस में इन स्कूलों के छात्रों और विज्ञान शिक्षकों के लिए एकसाइंस फ़िक्शन टूल-किटविकसित की गई है। साथ ही  इसमें छात्रों और विज्ञान शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित किए गए हैं। परियोजना में बच्चों के विज्ञान कथा साहित्य के साथ-साथ फिल्मों और कंप्यूटर गेम्स का प्रयोग भी किया गया है। परियोजना में श्री द्वारा सन में लिखी लिखा बाल विज्ञान उपन्यास इपीएफ मेंबर को मुक्त का प्रयोग किया गया
परिणामों की समीक्षा
हालांकि परिणामों की पूरी रिपोर्ट को अभी उपलब्ध नहीं है पर जितने भी परिणाम मिले हैं वे उत्साहजनक हैं। जिनमें से कुछ मुख्य परिणाम निम्न हैं।
·         छात्रों में तोतारटंत से हटकर अलग सोचने की और पढ़ने की रुचि में वृद्धि।
·         भविष्य के और आज की हानिकारक प्रवृत्तियों के प्रति चिंता और भविष्य के प्रति जागरूकता की वृद्धि।
·         अध्ययन के प्रति सकारात्मक बदलाव।
·         स्पेलिंग और भाषा की गलतियों में कमी।
·         विज्ञान के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों यथा तकनीकी, अपनी सभ्यता, सामाजिक संरचना की समझ में वृद्धि।
·         आने वाले भविष्य की कल्पना करने की क्षमता में वृद्धि और इसके लिए सकारात्मक प्रयास करने की इच्छाशक्ति का विकास।
शिक्षण की इंटरडिसिप्लिनरी प्रणाली
इस परियोजना में विज्ञान शिक्षण हेतु इसका प्रयोग किया जाता है। इसके अंतर्गत छात्रों को किसी विज्ञान विषय के विभिन्न पहलुओं की जानकारी एक ही समय में कई शिक्षकों द्वारा दी जाती है। इससे छात्रों को विज्ञान विभिन्न व्यावहारिक पहलुओं को की जानकारी मिली जिससे वे रोजमर्रा की जिंदगी में आने वाली बहुत सारी समस्याओं से निपट सकते थे।
समस्याएं
·         इस प्रकार का पाठ्यक्रम समय लेता है जबकि शिक्षकों पर समय के अंतर्गत एक निर्धारित पाठ्यक्रम को पूरा करने का दवाब होता है। अतः विज्ञान कथाओं को विज्ञान की शिक्षा में शामिल करने के लिए विज्ञान के पाठ्यक्रम में कुछ आमूल परिवर्तन करने होंगे।
·         हर जगह कुछ शिक्षक पर लीक पर चलने के आदी होते हईम और वे इस प्रकार के अभिनव प्रयोगों में कार्यों में रुचि नहीं ले पाते हैं। इससे भी इस प्रकार के प्रयासों का पूरा लाभ नहीं मिल पाता है।
·         ऐसे विज्ञान कथा साहित्य का अभाव है जिन्हें सफलतापूर्वक विज्ञान की पढ़ाई में प्रयोग किया जा सके।
यूनिवर्सिटी ऑफ एंजेलिना परियोजना
इस परियजना में मानव विज्ञान, सामान्य विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान, बायोकेमिस्ट्री के शिक्षण में विज्ञान कथा साहित्य को प्रयोग करने के लिए प्रयोग किए जा रहे हैं जिसमें आशातीत सफलता मिली है।
आउटरीच विज्ञान संचार में विज्ञान कथाओं का प्रयोग
एक अच्छी विज्ञान कथा 5 मिनट में जितना कह जाती है उसे सामान्य जन तक पहुंचाने में विज्ञान विज्ञान संचारकों की टीम को घंटों लग सकते हैं। पर हर विज्ञान कथा को इसके लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता है। 
विज्ञान कथाओं को विज्ञान संचार में सफ़लता पूर्वक प्रयोग करने से पहले आवश्यक हैं बहुत से परिवर्तन
यदि हम विज्ञान संचार में या कक्षाओं मे विज्ञान शिक्षण में विज्ञान कथाओं का प्रयोग करना चाहते हैं तो हमें विज्ञान पाठ्यक्रम में बड़े आमूल परिवर्तन करने होंगे।
·         इन्हें कुछ तरह से समायोजित करना होगा जिससे जिससे इनमें मल्टीडिसीप्लिनरी प्रक्रिया द्वारा पढ़ाई संभव हो सके।
·         विज्ञान पाठ्यक्रम में से अनावश्यक विषय-वस्तु हटाकर उन्हें छोटा करना होगा जिससे कि वह निश्चित समय अवधि में पूरे किए जा सकें
·         ऐसे विज्ञान साहित्य का चयन करना होगा जिसे सफलतापूर्वक इस उद्देश्य की पूर्ति में में प्रयोग किया जा सके।
·         विज्ञान ऐसा विज्ञा कथा साहित्य हमारे देश में नहीं लिखा जा रहा है तो हमें विदेशी लेखकों की रचनाओं को लेने से हिचकिचाना नहीं चाहिए।
·         विज्ञान कथा लेखकों को उस विषय में अतिरिक्त श्रम, विस्तृत शोध और पूरे तथ्यों की जानकारी करने करने के बाद प्रमाणित विज्ञान कथा साहित्य का लेखन करना होगा। भले उनका विज्ञान कथा साहित्य पैमाण में कम हो पर वह गुणवत्त में उत्कृष्ट हो।
·         विज्ञान कथाओं से भविष्योन्मुखी होने की शर्त हटानी होगी क्योंकि कक्षाओं में हमें आज का विज्ञान पढ़ाना है न कि भविष्य के विज्ञान की कल्पना की जानकारी देनी है।
क्या है अच्छी विज्ञान कथा की पहचान ?
चूंकि विज्ञान कथायें वैज्ञानिकों के लिये नहीं लिखी जाती उन्हें आम आदमी पढ़ता समझता है अतः उनमे वर्णित वैज्ञानिक सिद्धांतों की थोड़ी बहुत व्याख्या हर विज्ञान कथा में जरूरी होती है। विज्ञान कथा लेखन की उत्कृष्टता इसी बात से आंकी जाती है कि उसमें सिद्धान्तों की ये व्याख्या कहीं पर भी उकताहट भरा विवरण या भाषण न लगे। वह पात्र के चरित्र विकास में ऐसे समाहित हो जाये कि पाठक को पता ही न लगे कि ये जानकारी उसको कब दे दी गयी। भाषण मत दो, कहो मत, दिखाओ (Don”t preach,show,not tell) विज्ञान कथा में वैज्ञानिक सिद्धांत निरूपण के ये तीन मूलमंत्र होने चाहिये।
एक अच्छी विज्ञान कथा में ऐसे वैज्ञानिक तथ्यों का निरूपण होना चाहिए
·         जो मानव सभ्यता और प्रौद्योगिकी या विज्ञान विकास के बीच सकारात्मक सम्बन्ध स्थापित करते हों
·         जिनको जानना एक आम पाठक के लिये आवश्यक हो और आम व्यक्ति की वैज्ञानिक समझ को विस्तार देते हों।
·         जो आम पाठक में उस विषय के बारे में सोचने की नई संभावनाएं जगाते हों।
·         जो उन संभावनाओं के बारे में बताते हों जिनसे भविष्य में आज की मानव सभ्यता को दो-चार होना पड़ सकता है।
·         जो यह दूर दृष्टि देते हों कि आज की विज्ञान और प्रोद्योगिकी की प्रगति विश्व को भविष्य में कहां ले जा सकती है?
·         जो आम पाठक को अपनी आज की दुनिया को निरपेक्ष भाव से या  दूसरे ग्रह या दुनियां से आये प्राणी के नजर से देखने का अवसर प्रदान करते हों।