नाई ने कहा
कि मेरा चौथा
भाई काना था
और उसका नाम
अलकूज था। अब
यह भी सुन
लीजिए कि उसकी
एक आँख किस
प्रकार गई। मेरा
भाई कसाई का
काम करता था।
उसे भेड़-बकरियों
की अच्छी पहचान
थी। वह मेढ़ों
को लड़ाने के
लिए तैयार भी
करता था। इस
कारण वह नगर
में सर्वप्रिय हो
गया। वह बड़े
अच्छे-अच्छे मेढ़े
पालता और प्रतिष्ठित
लोग उसके यहाँ
मेढ़ों की लड़ाई
देखने आते। इसके
अलावा वह भेड़
का बहुत अच्छा
मांस बेचता था।
एक दिन एक
बुड्ढा उसके पास
आया और एक
पसेरी मांस खरीद
कर और उसका
मूल्य दे कर
चला गया। उसके
दिए हुए चाँदी
के सिक्के बिल्कुल
नए और चमकते
हुए थे। मेरे
भाई ने उन्हें
देख कर एक
संदूक में डाल
दिया। वह बूढ़ा
पाँच महीने तक
इसी तरह आता
और उतना ही
मांस रोज उसकी
दुकान से ले
जाता रहा और
बदले में उतने
ही रुपए रोज
दे जाता रहा।
पाँच महीने बाद
मेरे भाई ने
जब और भेड़ें
खरीदनी चाहीं तो संदूक
खोलने पर वहाँ
कागज के गोल
कटे टुकड़े पाए।
यह देख कर
वह अपना सिर
पीट-पीट कर
रोने-चिल्लाने लगा।
उसने पड़ोसियों को
बुलाया ओर उन्हें
संदूक में भरी
हुई कागज की
गोल चिंदियाँ दिखाईं।
वे भी यह
देख कर बड़े
आश्चर्य में पड़े।
मेरा भाई दाँत
पीस-पीस कर
कह रहा था
कि अगर वह
कंबख्त बुड्ढा मिल जाए
तो उसकी अक्ल
ठिकाने लगाऊँ। संयोग से
गली में कुछ
दूर पर वह
बुड्ढा दिखाई दिया। मेरे
भाई ने दौड़
कर उसे पकड़ा
और पड़ोसी तथा
अन्य कई लोग
भी वहाँ एकत्र
हो गए। मेरे
भाई ने पुकार
कर कहा, भाइयो,
देखो इस निर्लज्ज
पापी ने मेरे
साथ कैसी धोखाधड़ी
की है। यह
कह कर उसने
सारा वृत्तांत कहा।
बूढ़ा यह सुन
कर मेरे भाई
से बोला, तेरे
लिए यह अच्छा
होगा कि तूने
मेरा जो अपमान
किया है और
जो गालियाँ मुझे
दी हैं उनके
लिए मुझ से
क्षमा माँग और
अपना निराधार आरोप
वापस ले। तूने
ऐसा न किया
तो तूने मेरा
जितना अपमान किया
है उससे अधिक
तेरा अपमान कराऊँगा।
मैं नहीं चाहता
कि तू जो
अभक्ष्य वस्तु खिलाता रहा
है उसका उल्लेख
भी करूँ। मेरे
भाई ने कहा,
तू यह क्या
बकवास कर रहा
है? तू जो
चाहे कह दे।
मैं किसी बात
से नहीं डरता
क्योंकि मैं कोई
काम धोखेबाजी का
काम करता ही
नहीं।
बूढ़े ने कहा,
तू अपनी फजीहत
कराना ही चाहता
है तो करा।
सुनो भाई लोगो,
यह अधम कसाई
आदमी मारता है
और उनका मांस
भेड़ और बकरी
के नाम पर
तुम लोगों के
हाथ बेचता है।
मेरे भाई ने
चिल्ला कर कहा,
नीच बूढ़े, तू
इस उम्र में
भी झूठ बोलने
से बाज नहीं
आया। क्यों यह
बेसिरपैर की हाँक
रहा है? उसने
कहा, मैं बेसिरपैर
की क्या हाँकूँगा।
बेसिरवाली आदमी की
एक-आध लाश
अब भी तुम्हारी
दुकान के अंदर
के हिस्से में
होगी। वहाँ जा
कर जो भी
देखेगा उसे मालूम
हो जाएगा कि
झूठा मैं हूँ
या तू। अलकूज
ने गुस्से में
भर कर कहा,
जिसका जी चाहे
मेरी दुकान देख
ले।
अतएव पड़ोसी लोगों ने
तय किया कि
बूढ़े को दुकान
पर ले जाया
जाय और अगर
उसकी बात झूठ
निकले तो जितना
रुपया उस पर
वाजिब है उससे
दुगुना उससे वसूल
किया जाए। वहाँ
जा कर देखा
कि दुकान के
भीतरी भाग में
वास्तव में एक
मनुष्य की बगैर
सिर की लाश
लटक रही थी
जैसे कि कसाइयों
की दुकानों पर
जानवरों की बेसिर
की लाशें लटकी
रहती हैं। वास्तविकता
यह थी कि
वह बूढ़ा जादूगर
था और दृष्टि
भ्रम पैदा करने
में निपुण था।
पाँच महीने तक
उसने कागज की
गोल चिंदियाँ मेरे
भाई को दीं
और इस समय
उस भेड़ को,
जिसे मेरे भाई
ने कुछ देर
पहले मारा था,
आदमी बना कर
लोगों को धोखा
दिया। उसका जादू
का खेल कौन
समझता। लोगों ने क्रोध
में आ कर
मेरे भाई को
बहुत मारा और
उससे चीख-चीख
कर कहा कि
तुम नीच और
पापी हो, हमें
नर मांस खिलाते
रहे हो। इसी
मार के कारण
मेरे भाई की
एक आँख फूट
गई।
मारनेवालों
में बूढ़ा भी
शामिल था। उसने
मार-पीट पर
ही पर मामला
खत्म नहीं किया
बल्कि सारे लोगों
के साथ मेरे
भाई और उसकी
दुकान में टँगी
हुई लाश को
ले कर काजी
के यहाँ पहुँचा।
काजी पर भी
उसने दृष्टि भ्रम
का प्रयोग किया
और उसे भी
लाश आदमी ही
की दिखाई दी।
काजी ने मेरे
भाई की कहानी
पर विश्वास न
किया न उसकी
चीख-पुकार पर
दया दिखाई। उसने
आज्ञा दी कि
इस कसाई को
पाँच सौ कोड़े
मारे जाएँ और
फिर इसे ऊँट
पर बिठा कर
सारे शहर में
फिराया जाए, फिर
नगर से निष्कासित
कर दिया जाए।
अतएव ऐसा ही
किया गया।
जिस समय मेरे
भाई पर यह
कष्ट पड़ रहा
था उस समय
मैं बगदाद में
था। मेरा भाई
किसी गुमनाम जगह
पर छुपा रहा
और कुछ दिनों
के बाद जब
उसमें चलने- फिरने
की कुछ शक्ति
आई तो वह
वहाँ से निकला
और छुपता-छुपाता
एक ऐसे शहर
में पहुँचा जहाँ
पर उसे कोई
नहीं जानता था।
किसी तरह उसने
कुछ और दिन
काटे, कभी काम
मिल जाता था
तो थोड़ी-बहुत
मेहनत-मजदूरी कर
लेता था, नहीं
तो भीख माँगता
था। भीख में
भी अगर कुछ
नहीं मिलता तो
भूखा ही रह
जाता।
एक दिन वह
एक सड़क पर
चला जा रहा
था कि उसने
अपने पीछे से
आती हुई घोड़े
की टापों की
आवाज सुनी। मुड़
कर देखा तो
कई सवारों को
अपना पीछा करता
पाया। उसने सोचा
कि कहीं यह
मुझे पकड़ने तो
नहीं आ रहे।
इसलिए वह दौड़
कर एक बड़े
मकान में जाने
लगा। वहाँ उसे
दो आदमियों ने
पकड़ लिया और
कहा, भगवान का
लाख-लाख धन्यवाद
है कि तुम
आज खुद ही
हमारे हाथ पड़ने
के लिए यहाँ
आ गए हो।
हम तीन दिन
से रात-दिन
तुम्हारी तलाश में
दौड़ रहे थे।
मेरा भाई यह
सुन कर बहुत
आश्चर्यान्वित हुआ। उसने
कहा, मैं कुछ
भी नहीं समझा।
तुम लोग मुझसे
क्या चाहते हो?
क्यों मुझे पकड़ा
है? तुम्हें कुछ
भ्रम हुआ है।
उन लोगों ने
कहा, हमें कोई
भ्रम नहीं हुआ।
तू और तेरे
कई साथी चोर
हैं। तुम लोगों
ने हमारे मालिक
का सब माल
लूट कर उसे
लगभग कंगाल कर
दिया। इस पर
भी तुम्हारी अभिलाषा
पूरी नहीं हुई।
अब तू हमारे
स्वामी के प्राण
लेने के लिए
भेजा गया है।
कल रात भी
तू इसी उद्देश्य
से आया था
और जब हम
तुझे पकड़ने को
दौड़े तो तेरे
हाथ में छुरी
देखी थी। अब
भी तेरे पास
छुरी होगी। यह
कह कर उन
दोनों ने मेरे
भाई की तलाशी
ली तो उसके
कपड़ों में वह
छुरी निकल आई
जिससे वह जानवर
काटा करता था।
छुरी पा कर
वे कहने लगे
कि अब तो
निश्चय ही हो
गया कि तू
चोर है। मेरे
भाई ने रोते
हुए कहा, भाई,
किसी के पास
छुरी निकले तो
क्या इतने भर
से वह चोर
या हत्यारा हो
जाएगा? मेरी कहानी
सुनो तो तुम्हें
मेरी सत्यता का
विश्वास होगा। यह कह
कर अलकूज ने
अपनी सारी विपदाओं
का उनसे वर्णन
किया।
किंतु यह कहानी
सुन कर वह
दोनों व्यक्ति अलकूज
पर दया करने
के बजाय उससे
चिमट गए। उन्होंने
उसके कपड़े फाड़
दिए और उसकी
पीठ और कंधों
पर पुरानी चोटों
के निशान देख
कर बोले कि
इन निशानों से
मालूम होता है
कि तू पुराना
अपराधी है और
पहले भी मार
खा चुका है।
यह कह कर
उन्होंने उसे मारना
शुरू किया। अलकूज
रोता-चिल्लाता रहा
और भगवान से
शिकायत करता रहा
कि मैंने ऐसा
क्या अपराध किया
है जिसका यह
दंड मिल रहा
है। एक बार
की बेकार की
मार के बाद,
जिसमें मेरा कोई
अपराध नहीं था,
यह दूसरा दंड
क्यों मिल रहा
है।
उन लोगों पर उसके
रोने-चिल्लाने का
कोई असर नहीं
हुआ और वे
उसे काजी के
पास पकड़ कर
ले गए कि
यह चोर हमारे
स्वामी के यहाँ
चोरी करने के
बाद उसे मारने
के इरादे से
छुरी ले कर
आया था। मेरे
भाई ने काजी
से कहा, सरकार,
मेरी फरियाद भी
सुनिए। मेरी बातें
सुनेंगे तो आपके
सामने स्पष्ट हो
जाएगा कि मुझ
जैसा निरपराध व्यक्ति
कोई नहीं होगा।
उसके पकड़नेवालों ने
काजी से कहा,
आप इसकी झूठी
कहानी न सुनें।
इसका इतिहास जानना
हो तो इसके
शरीर को वस्त्रहीन
करें तो देखेंगे
कि यह पुराना
पापी है और
हमेशा मार खाता
रहा है।
काजी ने उसका
कुरता उतरवा कर
देखा तो पुरानी
चोटों के निशान
देखे। उसने आज्ञा
दी कि इसे
सौ कोड़े मारे
जाएँ और ऊँट
पर बिठा कर
शहर में घुमाया
जाए और इसकी
अपराध कथा कही
जाए और फिर
इसे नगर से
निकाल दिया जाए।
ऐसा ही किया
गया। नाई ने
कहा कि मुझ
से कुछ लोगों
ने जब उसकी
दुर्दशा बताई तो
मैं वहाँ गया
और तलाश कर
के अपने भाई
को घर लाया।
खलीफा का इस
कहानी से मनोरंजन
हुआ और उसने
कहा कि इसे
इनाम दे कर
विदा करो। लेकिन
नाई ने कहा
कि सरकार, मेरे
बाकी दो भाइयों
की कहानी भी
सुन लीजिए।
स्रोत-इंटरनेट से कापी-पेस्ट