इस कहानी
की शुरुआत एक अरब के सुल्तान शहरयार से शुरू होती है जो भारत और चीन पर राज करता था| शहरयार अपनी बेगम के बेवफाई से इतना निराश हो गया था कि उसने अपनी पत्नी का
सिर कलम करवा दिया था| अपनी पत्नी की बेवफाई के कारण वह
हर औरत को बेवफा मानकर औरतों से नफरत करने लग गया| अपनी इस औरतों से नफरत के लिए हर शाम वह एक कुंवारी लडकी
से शादी करता था और अगले दिन उसे मौत के घाट उतार देता था| वह
सुल्तान था इस कारण उसका कोई विरोध भी नहीं कर सकता था और विरोध करने वाले को भी मार
दिया जाता था| उसके इस निर्दयी व्यवहार से सल्तनत में आतंक
छा गया था |
एक दिन
सुल्तान के वजीर की बेटी को सुल्तान की इस निर्दयता की खबर मिली| वजीर के दो बेटियां थीं- शहरजाद और दीनारजाद। शहरजाद दोनों बहनों में से बड़ी, चतुर और
सुंदर थी| सुल्तान की इस निर्दयता को देखते हुए उसने अपने पिता
से सुल्तान के साथ निकाह करने की गुजारिश की| वजीर यह
सुनकर चौंक गया क्योंकि वह अपनी बेटी को खोना नहीं
चाहता था|
शहरजाद
ने अपने पिता से कहा “अब्बाजान , आप घबराइए
मत , मुझे पूरा विश्वास है कि मैं हजारों लडकियों की जान बचा
सकती हूं“| लेकिन कौन पिता अपने बेटी को मौत के मुह में ढकेल
सकता है फिर भी अपनी बेटी की जिद और कसमों के आगे उसे मानना पड़ा|
वजीर, सुल्तान के पास गया और उससे अपनी बेटी के साथ निकाह करने का प्रस्ताव रखा|
सुल्तान
चौंक गया और वजीर से कहा “वजीर , तुम पागल हो गए
हो , ये तुम क्या कह रहे हो
, तुम जानते हो कि मैं निकाह के बाद तुम्हारी बेटी को मार दूंगा
”|
वजीर ने
जवाब दिया “सुल्तान, मैंने अपनी बेटी
को बहुत समझाया लेकिन वह मानने को तैयार नहीं है। अगर आपने उससे निकाह नहीं किया तो भी वह मर जाएगी, मेरे पास तो अब कोई
विकल्प नहीं बचा है ”|
सुल्तान
ने आखिरकार वजीर की बात मान ली |
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